रस Class 10 CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ प्रश्न और उत्तर (व्याकरण)

यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस व्याकरण खंड के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: रस की परिभाषा क्या है? उत्तर: किसी काव्य को पढ़ने, सुनने या नाटक को देखने से पाठक, श्रोता या दर्शक को जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे 'रस' कहते हैं।
2. प्रश्न: रस के चार अंग कौन-कौन से हैं? उत्तर: रस के चार अंग हैं: स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भाव।
3. प्रश्न: शृंगार रस का स्थायी भाव क्या है? उत्तर: शृंगार रस का स्थायी भाव 'रति' या 'प्रेम' है।
4. प्रश्न: 'उत्साह' किस रस का स्थायी भाव है? उत्तर: 'उत्साह' वीर रस का स्थायी भाव है।
5. प्रश्न: संचारी भावों की संख्या कितनी मानी गई है? उत्तर: संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है।
6. प्रश्न: 'मेरे तो गिरिधर गोपाल, दूसरो न कोई।' - पंक्ति में कौन-सा रस है? उत्तर: इस पंक्ति में शृंगार रस (भक्ति मिश्रित) है।
7. प्रश्न: करुण रस का स्थायी भाव लिखिए। उत्तर: करुण रस का स्थायी भाव 'शोक' है।
8. प्रश्न: विभाव के दो भेद कौन-से हैं? उत्तर: विभाव के दो भेद हैं: आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव।
9. प्रश्न: 'किलकत कान्ह घुटरुवनि आवत।' - इस पंक्ति में कौन-सा रस है? उत्तर: इस पंक्ति में वात्सल्य रस है।
10. प्रश्न: किस रस को 'रसराज' कहा जाता है? उत्तर: शृंगार रस को 'रसराज' कहा जाता है।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: स्थायी भाव और संचारी भाव में क्या अंतर है? उत्तर: स्थायी भाव मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं और अवसर पाकर जाग्रत होते हैं। इनकी संख्या सीमित है। जबकि संचारी भाव पानी के बुलबुलों की तरह मन में उठते और शांत होते रहते हैं; ये स्थायी भाव को पुष्ट करने का काम करते हैं।
12. प्रश्न: विभाव और अनुभाव में अंतर स्पष्ट कीजिए। उत्तर: स्थायी भाव को जगाने वाले कारणों को 'विभाव' कहते हैं (जैसे- सुंदर नायिका)। स्थायी भाव के जाग्रत होने पर आश्रय द्वारा की जाने वाली शारीरिक चेष्टाओं को 'अनुभाव' कहते हैं (जैसे- नायिका को देखकर मुस्कराना)।
13. प्रश्न: वीर रस का एक उदाहरण दीजिए और उसका स्थायी भाव बताइए। उत्तर: उदाहरण: 'बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।' इसका स्थायी भाव 'उत्साह' है।
14. प्रश्न: रौद्र रस और वीर रस में क्या अंतर है? उत्तर: रौद्र रस का स्थायी भाव 'क्रोध' है और यह अपमान या अहित के कारण उत्पन्न होता है। जबकि वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' है और यह धर्म, दया या वीरता प्रदर्शित करने के लिए उत्पन्न होता है। रौद्र रस में विवेकहीनता होती है, जबकि वीर रस में विवेक बना रहता है।
15. प्रश्न: निम्नलिखित पंक्तियों में रस पहचानकर लिखिए: 'एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयो मूरछा खाय॥' उत्तर: इन पंक्तियों में भयानक रस है। यहाँ यात्री (बटोही) का भय स्थायी भाव है, अजगर और सिंह आलंबन विभाव हैं, और मूर्छित होना अनुभाव है।
16. प्रश्न: वात्सल्य रस को परिभाषित कीजिए। उत्तर: माता-पिता का अपनी संतान के प्रति या बड़ों का छोटों के प्रति जो स्नेह का भाव होता है, उसे 'वात्सल्य' कहते हैं। जब यही वात्सल्य नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होता है, तो वात्सल्य रस की निष्पत्ति होती है।
17. प्रश्न: हास्य रस कब उत्पन्न होता है? एक उदाहरण दीजिए। उत्तर: किसी व्यक्ति की अनोखी आकृति, वेशभूषा, बातचीत या चेष्टाओं को देखकर हृदय में जब 'हास' का भाव उत्पन्न होता है, तब हास्य रस की निष्पत्ति होती है। उदाहरण: 'बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय॥'
18. प्रश्न: उद्दीपन विभाव किसे कहते हैं? उत्तर: जो भाव स्थायी भाव को और अधिक तीव्र या उद्दीप्त करते हैं, उन्हें उद्दीपन विभाव कहते हैं। जैसे, शृंगार रस में चाँदनी रात, एकांत स्थान या सुंदर बगीचा स्थायी भाव (रति) को और तीव्र करते हैं।
19. प्रश्न: 'राम को रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाहीं।' - में रस के अंगों को स्पष्ट कीजिए। उत्तर: स्थायी भाव- रति। आश्रय- जानकी। आलंबन- राम। उद्दीपन- कंगन के नग में पड़ने वाला प्रतिबिंब। अनुभाव- प्रतिबिंब को निहारना। संचारी भाव- हर्ष, उत्सुकता।
20. प्रश्न: शांत रस का स्थायी भाव क्या है? इसका एक उदाहरण दीजिए। उत्तर: शांत रस का स्थायी भाव 'निर्वेद' (वैराग्य) है। उदाहरण: 'जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माहिं॥'

खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: शृंगार रस के दोनों भेदों (संयोग और वियोग) को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। उत्तर: शृंगार रस के दो भेद हैं: 1. संयोग शृंगार: जहाँ नायक-नायिका के मिलन का वर्णन होता है। उदाहरण: 'बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करै भौंहनि हँसै, दैन कहै नटि जाय।' 2. वियोग शृंगार: जहाँ नायक-नायिका के बिछड़ने का वर्णन होता है। उदाहरण: 'निसिदिन बरसत नैन हमारे। सदा रहति पावस ऋतु हम पर, जबते स्याम सिधारे॥'
22. प्रश्न: करुण रस की परिभाषा और उसके अंगों का उल्लेख करते हुए एक उदाहरण दीजिए। उत्तर: किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट से हृदय में जब 'शोक' नामक स्थायी भाव जाग्रत होता है, तो करुण रस की निष्पत्ति होती है। उदाहरण: 'देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।' यहाँ स्थायी भाव- शोक, आश्रय- श्रीकृष्ण, आलंबन- सुदामा की दीन दशा, अनुभाव- आँखों से आँसू बहना, संचारी भाव- विषाद, ग्लानि।
23. प्रश्न: निम्नलिखित पंक्तियों में निहित रस, उसका स्थायी भाव और कारण स्पष्ट कीजिए: 'क्रोधित अर्जुन क्षोभ से जलने लगे, सब शील अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे। संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े, करते हुए यह घोषणा वे हो गए उठकर खड़े॥' उत्तर: इन पंक्तियों में रौद्र रस है। इसका स्थायी भाव 'क्रोध' है। यहाँ आश्रय अर्जुन हैं और आलंबन अभिमन्यु का वध करने वाले शत्रु (कौरव) हैं। अर्जुन का शरीर काँपना, हाथ मलना आदि अनुभाव हैं। उग्रता, अमर्ष आदि संचारी भाव हैं, जो क्रोध को पुष्ट कर रहे हैं।
24. प्रश्न: अद्भुत रस को उदाहरण सहित समझाइए। उत्तर: किसी आश्चर्यजनक या अलौकिक वस्तु या दृश्य को देखकर जब मन में 'विस्मय' या 'आश्चर्य' का भाव उत्पन्न होता है, तो अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है। उदाहरण: 'अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लखि मातु। चकित भई गदगद बचन, बिकसित दृग पुलकातु॥' यहाँ यशोदा के मन में आश्चर्य का भाव है।
25. प्रश्न: 'मन रे तन कागद का पुतला। लागै बूँद बिनसि जाय छिन में, गरब करै क्या इतना।' - इन पंक्तियों में निहित रस और उसके तत्वों का विश्लेषण कीजिए। उत्तर: इन पंक्तियों में शांत रस है। स्थायी भाव- निर्वेद (वैराग्य)। आश्रय- कवि। आलंबन- संसार की नश्वरता, कागज का पुतला रूपी शरीर। उद्दीपन- संसार की क्षणभंगुरता का विचार। अनुभाव- गर्व न करने का उपदेश देना। संचारी भाव- मति, धृति।
26. प्रश्न: भयानक और वीभत्स रस में क्या मुख्य अंतर है? दोनों का एक-एक उदाहरण दीजिए। उत्तर: भयानक रस में किसी डरावनी वस्तु या स्थिति से 'भय' उत्पन्न होता है, जिससे व्यक्ति बचना चाहता है। वीभत्स रस में किसी घृणित वस्तु या दृश्य से 'जुगुप्सा' (घृणा) उत्पन्न होती है, जिससे मन में ग्लानि होती है। भयानक रस का उदाहरण: 'उधर गरजती सिंधु लहरियाँ, कुटिल काल के जालों सी।' वीभत्स रस का उदाहरण: 'सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत।'
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27. प्रश्न: काव्य में रस का क्या महत्व है? उत्तर: काव्य में रस का वही स्थान है जो शरीर में आत्मा का है। रस के बिना काव्य निर्जीव और प्रभावहीन होता है। रस ही काव्य को आनंदमयी बनाता है और पाठक या श्रोता को भाव-विभोर कर देता है। यह काव्य के संदेश को सीधे हृदय तक पहुँचाता है और उसे स्मरणीय बनाता है। इसीलिए रस को 'काव्य की आत्मा' कहा गया है।
28. प्रश्न: आश्रय और आलंबन में क्या भेद है? उदाहरण देकर स्पष्ट करें। उत्तर: जिस व्यक्ति के मन में स्थायी भाव उत्पन्न होता है, उसे 'आश्रय' कहते हैं। जिस व्यक्ति या वस्तु के कारण स्थायी भाव उत्पन्न होता है, उसे 'आलंबन' कहते हैं। उदाहरण: 'राम को देखकर सीता के मन में प्रेम उत्पन्न हुआ।' यहाँ प्रेम का भाव सीता के मन में उत्पन्न हुआ, इसलिए सीता 'आश्रय' हैं। यह भाव राम को देखकर उत्पन्न हुआ, इसलिए राम 'आलंबन' हैं।
29. प्रश्न: 'जसोदा हरि पालने झुलावै। हलरावै, दुलरावै, मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै।' - पंक्तियों में निहित रस के सभी अंगों का विश्लेषण कीजिए। उत्तर: इन पंक्तियों में वात्सल्य रस है। स्थायी भाव- वात्सल्य (स्नेह)। आश्रय- माता यशोदा। आलंबन- श्रीकृष्ण। उद्दीपन- कृष्ण का पालने में झूलना। अनुभाव- यशोदा का पालना झुलाना, दुलारना, गीत गाना। संचारी भाव- हर्ष, मोह।
30. प्रश्न: किसी एक संचारी भाव (जैसे- हर्ष, चिंता, गर्व) को परिभाषित करते हुए बताइए कि यह किस-किस रस में सहायक हो सकता है? उत्तर: हर्ष: मन की प्रसन्नता को हर्ष कहते हैं। यह एक संचारी भाव है जो मुख्य रूप से शृंगार रस और वात्सल्य रस में सहायक होता है। प्रिय से मिलने पर या पुत्र की बाल लीला देखकर मन में हर्ष का संचार होता है जो रति और वात्सल्य के स्थायी भावों को पुष्ट करता है। यह वीर रस में विजय के समय भी उत्पन्न हो सकता है।

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