यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।
खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)
1. प्रश्न: हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम से कहाँ से गुज़रना पड़ता था?
उत्तर: हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन एक कस्बे (छोटे शहर) से गुज़रना पड़ता था।
2. प्रश्न: कस्बे के मुख्य चौराहे पर किसकी प्रतिमा लगी हुई थी?
उत्तर: कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगी हुई थी।
3. प्रश्न: मूर्ति पर कौन-सा चश्मा बार-बार बदल दिया जाता था?
उत्तर: मूर्ति पर एक वास्तविक (असली) और काला फ्रेम वाला चश्मा बदल दिया जाता था।
4. प्रश्न: नेताजी की प्रतिमा किस चीज़ की बनी हुई थी और उसमें क्या कमी थी?
उत्तर: प्रतिमा संगमरमर की बनी हुई थी, और उसमें कमी यह थी कि उस पर संगमरमर का चश्मा नहीं था।
5. प्रश्न: पानवाला हालदार साहब को देखकर क्यों हँसता था?
उत्तर: पानवाला हालदार साहब के बार-बार कैप्टन चश्मेवाले के बारे में पूछने की जिज्ञासा पर हँसता था।
6. प्रश्न: कैप्टन चश्मेवाले को लोग किस नाम से जानते थे और क्यों?
उत्तर: लोग उसे मज़ाक में 'कैप्टन' कहते थे क्योंकि वह लँगड़ा था और फौजियों जैसा कोई काम नहीं करता था।
7. प्रश्न: अंत में, बच्चों द्वारा मूर्ति पर कौन-सा चश्मा लगाया गया था?
उत्तर: अंत में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे (reed) का बना हुआ चश्मा लगाया गया था।
8. प्रश्न: हालदार साहब पहली बार नेताजी की मूर्ति में क्या कमी खटकी?
उत्तर: उन्हें खटकी कि मूर्ति पर असली संगमरमर का चश्मा नहीं था, बल्कि एक सामान्य फ्रेम वाला चश्मा था।
9. प्रश्न: 'अवाक् रह जाना' मुहावरे का क्या अर्थ है, और हालदार साहब कब अवाक् रह गए?
उत्तर: 'अवाक् रह जाना' का अर्थ है स्तब्ध या हैरान रह जाना। हालदार साहब पहली बार कैप्टन का हुलिया देखकर अवाक् रह गए थे।
10. प्रश्न: कैप्टन की मृत्यु के बाद कस्बे में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर: कैप्टन की मृत्यु के बाद कस्बे में निराशा छा गई और नेताजी की मूर्ति पर अब कोई चश्मा नहीं था।
खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)
11. प्रश्न: हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का मज़ाक उड़ाया जाना क्यों अच्छा नहीं लगा? (CBSE PYQ)
उत्तर: हालदार साहब एक संवेदनशील व्यक्ति थे। वे समझते थे कि कैप्टन चश्मेवाले में सच्ची देशभक्ति की भावना है, जिसके कारण वह नेताजी की अधूरी मूर्ति पर चश्मा लगाता था। पानवाले द्वारा उसका मज़ाक उड़ाया जाना हालदार साहब को देशभक्ति का अनादर लगा, इसलिए उन्हें यह अच्छा नहीं लगा।
12. प्रश्न: कैप्टन चश्मेवाले का चरित्र-चित्रण संक्षेप में कीजिए। (CBSE PYQ)
उत्तर: कैप्टन एक बूढ़ा, मरियल-सा, लँगड़ा व्यक्ति था, जो फेरी लगाकर चश्मे बेचता था। वह हृदय से अत्यंत देशभक्त और सच्चा सेनानी था। उसमें नेताजी के प्रति अगाध श्रद्धा थी। वह गरीब था, पर अपने छोटे से काम से राष्ट्र-नायकों के सम्मान की रक्षा करता था।
13. प्रश्न: 'बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी...लुटा देने वालों पर हँसती है।' हालदार साहब ने यह विचार क्यों किया?
उत्तर: हालदार साहब ने यह विचार तब किया जब उन्होंने देखा कि कस्बे के लोग, विशेषकर पानवाला, कैप्टन चश्मेवाले जैसे सच्चे देशभक्त का मज़ाक उड़ाते हैं। उन्हें लगा कि जिस समाज में त्याग और समर्पण करने वालों का सम्मान नहीं होता, उस समाज का भविष्य क्या होगा, जहाँ संवेदनशीलता खत्म हो चुकी है।
14. प्रश्न: मूर्ति पर लगा चश्मा बार-बार क्यों बदल जाता था? (CBSE PYQ)
उत्तर: मूर्ति पर लगा चश्मा कैप्टन चश्मेवाले के कारण बदल जाता था। वह एक चश्मे बेचने वाला था। जब कोई ग्राहक उसके पास मूर्ति पर लगे फ्रेम जैसा चश्मा माँगता, तो वह मूर्ति से चश्मा उतारकर ग्राहक को दे देता था और बदले में मूर्ति पर कोई दूसरा फ्रेम लगा देता था।
15. प्रश्न: 'वह लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!'— इस कथन के माध्यम से पानवाला कैप्टन के बारे में क्या सोचता था? (CBSE PYQ)
उत्तर: इस कथन के माध्यम से पानवाला कैप्टन की देशभक्ति का मज़ाक उड़ाता था और उसे पागल मानता था। वह सोचता था कि शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण वह सेना में जाने लायक नहीं है, पर देशभक्ति का दिखावा कर रहा है। यह पानवाले की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
16. प्रश्न: हालदार साहब को कैप्टन के प्रति श्रद्धा क्यों उमड़ आई?
उत्तर: हालदार साहब को कैप्टन के प्रति श्रद्धा इसलिए उमड़ आई क्योंकि उन्हें पता चला कि एक गरीब, लँगड़ा आदमी होने के बावजूद उसमें देशभक्ति की इतनी गहरी भावना है कि वह नेताजी की मूर्ति को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता। उसका निस्वार्थ भाव उन्हें सम्मान देने पर मजबूर करता है।
17. प्रश्न: कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब ने क्या निश्चय किया और क्यों?
उत्तर: कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब ने निश्चय किया कि वे अब उस कस्बे के चौराहे पर नहीं रुकेंगे और मूर्ति की ओर नहीं देखेंगे। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगा कि देशभक्ति की भावना अब पूरी तरह समाप्त हो गई है और मूर्ति को बिना चश्मे के देखना उन्हें दुखी करेगा।
18. प्रश्न: हालदार साहब ने मूर्ति को देखकर सैल्यूट क्यों किया?
उत्तर: कैप्टन की मृत्यु के बाद जब हालदार साहब ने मूर्ति पर सरकंडे का बना चश्मा देखा, तो उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने महसूस किया कि देशभक्ति की भावना अभी बच्चों में ज़िंदा है। इस आशा और नई पीढ़ी की देशभक्ति के सम्मान में उन्होंने मूर्ति को सैल्यूट किया।
19. प्रश्न: मूर्ति बनाने वाले मास्टर का क्या दोष था?
उत्तर: मूर्ति बनाने वाला मास्टर मोतीलाल शायद चश्मा बनाना भूल गया था या संगमरमर पर चश्मा बनाते समय टूट गया होगा। उसका मुख्य दोष यह था कि उसने मूर्ति को अधूरा छोड़ दिया, जिससे देश के महान नेता का सम्मान अधूरा रह गया।
20. प्रश्न: पानवाला कैसा व्यक्ति था? उसके चरित्र की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: पानवाला मोटा, काला, खुशमिज़ाज और बातूनी व्यक्ति था। उसकी विशेषताएँ हैं: 1. बातूनी और हँसमुख: वह बातें करने और मज़ाक उड़ाने में माहिर था। 2. संवेदनहीन: वह देशभक्त कैप्टन का मज़ाक उड़ाता था, हालांकि उसमें थोड़ी मानवीय संवेदना भी थी (जब वह कैप्टन की मृत्यु की बात पर दुखी हुआ)।
खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)
21. प्रश्न: 'नेताजी का चश्मा' कहानी का मूल उद्देश्य (या संदेश) स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ)
उत्तर: इस कहानी का मूल उद्देश्य देशभक्ति की भावना को परिभाषित करना है। यह बताती है कि देशभक्ति का अर्थ केवल बड़े-बड़े कार्यों या युद्धों में भाग लेना नहीं है, बल्कि अपने देश के नायकों के प्रति श्रद्धा रखना और उनके सम्मान की रक्षा के लिए छोटे-छोटे सार्थक प्रयास करना भी है। कैप्टन चश्मेवाले के माध्यम से, कहानी यह संदेश देती है कि हर नागरिक अपने तरीके से देश के लिए योगदान दे सकता है, भले ही वह गरीब हो या शारीरिक रूप से अक्षम।
22. प्रश्न: हालदार साहब का चरित्र-चित्रण कहानी के आधार पर करते हुए बताइए कि उनमें किन मानवीय मूल्यों का समावेश था। (CBSE PYQ)
उत्तर: हालदार साहब एक संवेदनशील, जिज्ञासु और भावुक व्यक्ति थे। 1. देशभक्त: वे नेताजी की प्रतिमा का सम्मान करते थे और उस पर चश्मा न देखकर दुखी होते थे। 2. जिज्ञासु: वे कैप्टन और उसके द्वारा चश्मा बदलने के रहस्य को जानने के लिए पानवाले से बार-बार पूछते थे। 3. भावुक और संवेदनशील: कैप्टन की मृत्यु पर उनका दुखी होना और सरकंडे का चश्मा देखकर भावुक होकर सैल्यूट करना, उनकी मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाता है। वे त्याग करने वालों का सम्मान करना जानते थे।
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23. प्रश्न: कैप्टन चश्मेवाला, पानवाला और हालदार साहब— इन तीनों में से सच्चे देशभक्त की संज्ञा किसे दी जा सकती है और क्यों? तर्क सहित उत्तर दीजिए। (CBSE PYQ)
उत्तर: सच्चे देशभक्त की संज्ञा कैप्टन चश्मेवाले को दी जा सकती है। कैप्टन: वह गरीब होते हुए भी नेताजी की मूर्ति को अधूरा नहीं छोड़ता। उसका यह कार्य निस्वार्थ प्रेम और समर्पण से भरा है। उसकी देशभक्ति हृदय की है, दिखावे की नहीं। हालदार साहब: वे देशभक्त हैं, पर उनकी देशभक्ति केवल सहानुभूति और जिज्ञासा तक सीमित है, वे स्वयं कोई प्रयास नहीं करते। पानवाला: वह देशभक्तों का मज़ाक उड़ाता है। इसलिए, कैप्टन ही सच्चा देशभक्त है क्योंकि उसने कर्म से अपनी श्रद्धा को साबित किया।
24. प्रश्न: 'वह फौज में नहीं था, पर लोग उसे कैप्टन कहते थे।' इस कथन में निहित व्यंग्य और सम्मान के भाव को स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ)
उत्तर: इस कथन में व्यंग्य और सम्मान दोनों भाव निहित हैं। व्यंग्य: पानवाला और कस्बे के अन्य लोग उसे मज़ाक में 'कैप्टन' कहते थे क्योंकि वह लँगड़ा था और फौजियों जैसा उसका कोई शारीरिक सामर्थ्य नहीं था। सम्मान: हालांकि, इस नाम में अदृश्य सम्मान भी छिपा है। लोगों को अनजाने में यह अहसास था कि कैप्टन में फौजियों जैसी देशभक्ति की भावना है। उसका हर पल नेताजी के सम्मान के लिए काम करना उसे वास्तविक 'कैप्टन' बना देता था, भले ही उसने कोई वर्दी न पहनी हो।
25. प्रश्न: कहानी के अंत में बच्चे द्वारा सरकंडे का चश्मा लगाने की घटना किस बात का संकेत देती है? (CBSE PYQ)
उत्तर: यह घटना भविष्य की आशा का संकेत देती है। कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा था कि देशभक्ति की भावना पूरी तरह समाप्त हो गई है। लेकिन जब बच्चों ने सरकंडे का चश्मा लगाया, तो इससे पता चलता है कि देशभक्ति की भावना अगली पीढ़ी में स्वाभाविक रूप से हस्तांतरित हो रही है। यह दिखाता है कि भावनाएँ खत्म नहीं होतीं, बल्कि एक रूप से दूसरे रूप में जीवित रहती हैं।
26. प्रश्न: पानवाले का रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए और बताइए कि उसके चरित्र की किन विशेषताओं के कारण वह कहानी में महत्त्वपूर्ण बन जाता है?
उत्तर: पानवाला एक मोटा, काला, खुशमिजाज और बातूनी व्यक्ति था, जिसकी दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती थी। महत्त्व: वह कहानी में इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वह कस्बे का प्रतिनिधि है। उसका चरित्र व्यंग्य और कटुता से भरा है। वह एक ओर सूचनाएँ देता है, तो दूसरी ओर देशभक्तों का उपहास करके सामाजिक संवेदनहीनता को दिखाता है। वह कहानी के संदेश को गहरा करने का काम करता है।
27. प्रश्न: 'क्या कोई ऐसा भी है जो मर गया है पर अपनी यादें छोड़ गया है?' कहानी के आधार पर इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
उत्तर: यह कथन कैप्टन चश्मेवाले के संबंध में पूरी तरह सत्य है। कैप्टन मर गया, लेकिन उसकी देशभक्ति और समर्पण की यादें कस्बे के लोगों और हालदार साहब के मन में हमेशा के लिए अमिट हो गईं। उसकी यादों ने बच्चों को भी प्रेरित किया कि वे नेताजी की मूर्ति को अधूरा न रहने दें, जिसके फलस्वरूप सरकंडे का चश्मा लगाया गया। इस प्रकार, उसका कार्य अमर हो गया।
28. प्रश्न: 'नेताजी का चश्मा' कहानी में मूर्तिकार और कैप्टन के योगदान की तुलना कीजिए।
उत्तर: मूर्तिकार: उसका योगदान कलात्मक था। उसने मूर्ति बनाई, लेकिन वह अधूरा कार्य छोड़कर अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ लिया। कैप्टन: उसका योगदान भावनात्मक और नैतिक था। उसने मूर्ति को पूर्णता दी और महान नेता का सम्मान बनाए रखा। उसका कार्य श्रद्धा और देशभक्ति से प्रेरित था। निष्कर्ष: कैप्टन का योगदान मूर्तिकार से कहीं अधिक महान था, क्योंकि उसने कर्तव्य और नैतिकता का पालन किया।
29. प्रश्न: हालदार साहब बार-बार कस्बे में रुककर नेताजी की मूर्ति क्यों देखते थे? उनकी यह आदतें क्या दर्शाती हैं?
उत्तर: हालदार साहब बार-बार मूर्ति को इसलिए देखते थे क्योंकि उस पर लगा असली चश्मा हर बार बदल जाता था। उनकी यह आदत दर्शाती है: 1. जिज्ञासा: वे जानना चाहते थे कि यह सब कौन करता है। 2. सकारात्मकता: वे इस बात से खुश होते थे कि किसी में देशभक्ति की इतनी सच्ची भावना है। 3. भावुकता: उन्हें लगता था कि चश्मे के माध्यम से नेताजी को सम्मान मिल रहा है, जो उन्हें मानसिक शांति देता था।
30. प्रश्न: 'पानवाले की आँखों में एक दर्द छिपा था।' हालदार साहब ने यह कब महसूस किया और इसका क्या कारण था?
उत्तर: हालदार साहब ने यह तब महसूस किया जब उन्होंने कैप्टन के बारे में पूछा और पानवाले ने गंभीर होकर कहा कि 'कैप्टन मर गया'। भले ही पानवाला कैप्टन का मज़ाक उड़ाता था, पर कैप्टन की निस्वार्थ देशभक्ति को वह भी जानता था। कैप्टन की मृत्यु से उसे भी गहरा दुख हुआ था क्योंकि कस्बे में अब ऐसा कोई नहीं था जो नेताजी के सम्मान की रक्षा करता। यह दर्द मानवीय सहानुभूति और एक सच्चे देशभक्त को खो देने का था।
यह अध्याय 5 का संशोधित पोस्ट है।
अब हम आपकी सीरीज़ के अगले अध्याय, **'बालगोबिन भगत'** (क्षितिज गद्य खंड) की ओर बढ़ेंगे। क्या आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?