बालगोबिन भगत (रामवृक्ष बेनीपुरी) CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर

बालगोबिन भगत (रामवृक्ष बेनीपुरी) CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर
यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: बालगोबिन भगत किस पंथ (Sect) के अनुयायी थे? उत्तर: बालगोबिन भगत कबीर पंथ के अनुयायी थे।
2. प्रश्न: बालगोबिन भगत का कौन-सा कृत्य सामाजिक रूढ़ियों के विपरीत था? उत्तर: पुत्र की मृत्यु पर उन्होंने पुत्रवधू से अग्निदाह (मुखाग्नि) दिलवाया।
3. प्रश्न: भगत का कौन-सा गुण लोगों के लिए अचरज (आश्चर्य) का कारण था? उत्तर: उनका कठोर अनुशासन, नियम-पालन और अद्भुत संगीत साधना।
4. प्रश्न: भगत अपने बेटे की मृत्यु को क्या मानते थे? उत्तर: वे इसे 'उत्सव' (आत्मा का परमात्मा से मिलन) मानते थे।
5. प्रश्न: भगत के संगीत को लेखक ने क्या संज्ञा दी है? उत्तर: उनके संगीत को लेखक ने 'जादू' कहा है।
6. प्रश्न: बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ कब शुरू होती थीं? उत्तर: कार्तिक मास से शुरू होकर फाल्गुन मास तक चलती थीं।
7. प्रश्न: बालगोबिन भगत किस पर मोहित नहीं थे? उत्तर: वे सांसारिक मोह-माया, धन-संपत्ति या किसी व्यक्तिगत लाभ पर मोहित नहीं थे।
8. प्रश्न: भगत की पुत्रवधू उन्हें छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती थी? उत्तर: वह भगत की बुढ़ापे में सेवा करना चाहती थी और जानती थी कि उनके जाने के बाद भगत अकेले पड़ जाएँगे।
9. प्रश्न: 'धन्य वह क्षण' किसे कहा गया है? उत्तर: आषाढ़ मास में धान की रोपाई के समय जब बालगोबिन भगत कीचड़ में सने हुए गीत गाते थे, उस क्षण को 'धन्य' कहा गया है।
10. प्रश्न: बालगोबिन भगत किसके गीतों को गाते थे? उत्तर: वे केवल कबीर के पद और गीतों को गाते थे।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी? (CBSE PYQ) उत्तर: उनकी दिनचर्या अचरज का कारण इसलिए थी क्योंकि वह पूरी तरह नियमों से बंधी थी। वे बुढ़ापे में भी जाड़े के दिनों में सुबह जल्दी उठकर दो मील दूर नदी-स्नान के लिए जाते थे, और लौटकर प्रभाती गाते थे। यह कठोर अनुशासन और नियम-पालन लोगों के लिए अविश्वसनीय था।
12. प्रश्न: बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधू से क्या कहा और यह उनके किस विचार को दर्शाता है? (CBSE PYQ) उत्तर: भगत ने पुत्रवधू से कहा कि वह अपने भाई के साथ मायके चली जाए और पुनर्विवाह (दूसरी शादी) कर ले। यह भगत के प्रगतिशील और मानवतावादी विचारों को दर्शाता है, जो पुरानी सामाजिक रूढ़ियों (जैसे विधवा जीवन की कठोरता) को अस्वीकार करते हैं।
13. प्रश्न: बालगोबिन भगत को 'साधु' क्यों कहा गया है? (CBSE PYQ) उत्तर: भगत को 'साधु' इसलिए कहा गया है क्योंकि वे सत्यवादी, निष्कपट और गृहस्थ होते हुए भी सांसारिक मोह से दूर थे। वे कबीर के आदर्शों पर चलते थे, किसी से झगड़ा नहीं करते थे, बिना पूछे किसी की चीज़ नहीं छूते थे और हमेशा विनम्र रहते थे। उनका कर्म ही उनकी साधुता की पहचान थी।
14. प्रश्न: बालगोबिन भगत ने समाज की किन-किन रूढ़ियों का खंडन किया? उत्तर: भगत ने समाज की दो मुख्य रूढ़ियों का खंडन किया: 1. लिंगभेद की रूढ़ि: उन्होंने पुत्र की चिता को पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवाकर इस रूढ़ि को तोड़ा। 2. विधवा जीवन की कठोरता: उन्होंने पुत्रवधू को पुनर्विवाह के लिए विवश करके विधवाओं के एकाकी जीवन की रूढ़ि को अस्वीकार किया।
15. प्रश्न: भगत के संगीत की दो विशेषताएँ बताइए। (CBSE PYQ) उत्तर: 1. उनका संगीत ईश्वर भक्ति और कबीर के पदों से ओत-प्रोत होता था, जिसमें मधुरता और जादू था। 2. यह संगीत जादुई होता था, जो स्त्री-पुरुष और बच्चों सभी को अपनी ओर आकर्षित करता था और उनके भीतर उल्लास भर देता था। धान की रोपाई और प्रभाती के समय यह विशेष रूप से प्रभावशाली होता था।
16. प्रश्न: बालगोबिन भगत का पहनावा कैसा था? उत्तर: भगत का पहनावा अत्यंत साधारण था। वे केवल एक कमर में लंगोटी और सिर पर कबीरपंथियों की कन्फ़टी टोपी पहनते थे। सर्दियों में वे एक काली कमली (कंबल) ओढ़ लेते थे। वे सादगीपसंद थे और दिखावे से दूर रहते थे।
17. प्रश्न: भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर गाए गए गीत में क्या भाव व्यक्त किए? उत्तर: उन्होंने अपने बेटे की मृत्यु पर आनंद और विरह-मिलन के भाव व्यक्त किए। उन्होंने प्रसन्नता का भाव व्यक्त किया कि आत्मा अपने परमात्मा के पास चली गई है, जो कि एक विरहणी का अपने प्रिय से मिलन है। उनके गीत में मोह-माया से मुक्ति और संसार की नश्वरता का अटल विश्वास व्यक्त हुआ।
18. प्रश्न: 'भगत अपने हर चीज़ को साहब की मानते थे।' इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए। उत्तर: भगत कबीर को अपना 'साहब' मानते थे। इस कथन का भाव है कि वे अपनी खेती से होने वाली उपज को भी अपनी नहीं मानते थे। वे फसल को कबीर मठ में ले जाकर चढ़ाते थे और वहाँ से जो प्रसाद मिलता था, उसी से अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे।
19. प्रश्न: बालगोबिन भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष कब और कैसे दिखाई देता है? उत्तर: उनकी संगीत साधना का चरम उत्कर्ष पुत्र की मृत्यु के दिन दिखाई देता है। जहाँ लोग शोक मनाते हैं, वहीं भगत पुत्र के शव के सामने बैठकर तल्लीनता से कबीर के भक्ति गीत गा रहे थे। उनका यह गायन आत्मा की अमरता और परमात्मा से मिलन के उत्सव को दर्शाता है।
20. प्रश्न: बालगोबिन भगत की मृत्यु किस प्रकार हुई? उत्तर: बालगोबिन भगत की मृत्यु उनकी जीवनशैली के अनुरूप, शांत और सहज तरीके से हुई। वे हर वर्ष की तरह गंगा-स्नान के लिए गए। लौटते समय उन्हें बुखार आ गया, लेकिन उन्होंने अपने नियम और व्रत नहीं तोड़े। अंत में, एक दिन सुबह उनका गाना (संगीत) सुनाई नहीं दिया, तब लोगों को पता चला कि उनकी मृत्यु हो चुकी है।

खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: 'बालगोबिन भगत' की वेशभूषा और व्यवहार के आधार पर बताइए कि साधु की पहचान पहनावे से होती है या कर्म से? (CBSE PYQ) उत्तर: कहानी स्पष्ट करती है कि साधु की पहचान पहनावे से नहीं, बल्कि कर्म और व्यवहार से होती है। बालगोबिन भगत की वेशभूषा साधारण गृहस्थ की थी, वे गेरुआ वस्त्र नहीं पहनते थे। उनका व्यवहार साधुओं जैसा था— वे निस्पृह (मोह-रहित), सत्यवादी, निस्वार्थ, और कबीर के सिद्धांतों पर चलने वाले थे। उन्होंने सामाजिक रूढ़ियों (जैसे विधवा विवाह और मुखाग्नि) को तोड़ा। इस प्रकार, लेखक ने भगत के माध्यम से यह स्थापित किया है कि कर्म और नैतिक आचरण ही मनुष्य के व्यक्तित्व की असली पहचान है।
22. प्रश्न: बालगोबिन भगत को 'गृहस्थ संत' क्यों कहा गया है? उनके जीवन की किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: बालगोबिन भगत को 'गृहस्थ संत' इसलिए कहा गया है क्योंकि वे गृहस्थ जीवन (परिवार, खेती) जीते हुए भी संतों वाले उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करते थे। उनकी विशेषताएँ: 1. अटूट आस्था और समर्पण: वे कबीर के प्रति अटूट आस्था रखते थे और उनके सिद्धांतों को व्यवहार में उतारते थे। 2. कर्मठता और नियम-पालन: वे बुढ़ापे में भी खेती, कठोर दिनचर्या और संगीत साधना के नियमों का सख्ती से पालन करते थे। 3. सामाजिक चेतना: उन्होंने रूढ़िवादी समाज के विपरीत पुत्रवधू को पुनर्विवाह के लिए भेजकर अपनी प्रगतिशील सोच का परिचय दिया।
23. प्रश्न: बालगोबिन भगत के जीवन की वह कौन-सी घटना थी, जिसने उन्हें गृहस्थ संत बना दिया? उस घटना का विस्तार से वर्णन कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: भगत के जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना उनके इकलौते पुत्र की मृत्यु थी। इस दुःखद क्षण में भी उन्होंने विलाप करने या शोक मनाने के बजाय संगीत गाकर 'उत्सव' मनाया। उन्होंने कहा कि आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया है। उन्होंने पुत्र की चिता को अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवाई और उसे पुनर्विवाह करने का आदेश दिया। ये सभी कार्य साधारण गृहस्थों के नहीं होते। इस घटना ने उन्हें मोह-माया से ऊपर उठकर, समाज सुधारक और सच्चे 'गृहस्थ संत' के रूप में स्थापित कर दिया।
24. प्रश्न: भगत की संगीत-साधना का उनके जीवन और परिवेश पर क्या प्रभाव पड़ता था? उत्तर: भगत की संगीत-साधना का गहरा प्रभाव उनके जीवन और परिवेश पर पड़ता था: 1. स्वयं पर प्रभाव: उनका संगीत उन्हें मोह-माया से दूर रखता था और उन्हें दुख सहने की शक्ति देता था (पुत्र की मृत्यु के समय)। 2. परिवेश पर प्रभाव: धान की रोपाई के समय उनका संगीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे, महिलाएँ गुनगुनाने लगती थीं और किसान अपने काम में तल्लीन हो जाते थे। उनका संगीत जादुई ऊर्जा भरता था।
25. प्रश्न: भगत के चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए जो उन्हें एक आदर्श इंसान बनाती हैं। उत्तर: 1. कबीर के प्रति अटूट आस्था: वे कबीर को अपना साहब मानते थे और उनके सिद्धांतों पर जीवन जीते थे। 2. निस्वार्थ भाव: वे किसी से झगड़ा नहीं करते थे और किसी की वस्तु बिना पूछे नहीं लेते थे। 3. सामाजिक सुधारक: उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को प्रेरित करके रूढ़ियों को तोड़ा। 4. कर्मठता और सादगी: वे कठोर श्रम करते थे और आडंबर से दूर, सादा जीवन जीते थे।
26. प्रश्न: बालगोबिन भगत की मृत्यु को उनकी 'नियमनिष्ठा' की सफलता क्यों कहा गया है? उत्तर: बालगोबिन भगत की मृत्यु को उनकी नियमनिष्ठा की सफलता इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्होंने मृत्यु के निकट होने पर भी अपने दैनिक नियमों (गंगा स्नान, संगीत साधना, प्रभाती) को नहीं तोड़ा। उन्होंने खाँस-खाँसकर भी अपने नियम पूरे किए। उनका जीवन भी नियमों से चला और मृत्यु भी नियमों के पालन के दौरान ही आई।
27. प्रश्न: बालगोबिन भगत की पुत्रवधू उन्हें क्यों छोड़कर नहीं जाना चाहती थी? उसके चरित्र की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: पुत्रवधू इसलिए नहीं जाना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि भगत बुढ़ापे में अकेले रह जाएंगे और उन्हें भोजन-पानी देने वाला कोई नहीं होगा। उसके चरित्र की विशेषताएँ हैं: 1. सेवा भाव: वह भगत की सेवा करना अपना कर्तव्य मानती थी। 2. संवेदनशीलता: वह भगत के अकेलेपन से चिंतित थी। 3. आज्ञाकारिता: अंत में, वह भगत की जिद के आगे पुनर्विवाह के लिए मान जाती है।
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28. प्रश्न: 'जिस पर वे विश्वास करते थे, उस पर वे पूर्ण विश्वास करते थे।' इस आधार पर भगत के विश्वास का वर्णन कीजिए। उत्तर: भगत का पूर्ण विश्वास कबीर पर था, जिन्हें वे अपना 'साहब' मानते थे। 1. वे कबीर के गीतों के अलावा किसी और के गीत नहीं गाते थे। 2. वे कबीर के विचारों को जीवन में उतारते थे (सत्य, निस्वार्थता)। 3. वे अपनी खेती से होने वाले लाभ को भी कबीरपंथी मठ में चढ़ाते थे, जो उनके पूर्ण और अटूट विश्वास को दर्शाता है।
29. प्रश्न: बालगोबिन भगत का प्रभाती गायन किस प्रकार मनोहारी होता था? उत्तर: भगत का प्रभाती गायन अत्यंत मनोहारी होता था। वे कार्तिक महीने से ही शुरू हो जाते थे। यह गायन अंधेरे में शुरू होता था और धीरे-धीरे पूरे गाँव को जगा देता था। उनकी खंजड़ी की ताल और मधुर स्वर भोर के शांत वातावरण में जादू जैसा असर करता था, जिससे सुनने वाले मोहित हो जाते थे।
30. प्रश्न: बालगोबिन भगत के व्यक्तित्व से आज के समाज को क्या प्रेरणा मिलती है? उत्तर: भगत के व्यक्तित्व से आज के समाज को तीन प्रमुख प्रेरणाएँ मिलती हैं: 1. नियमों का पालन: विपरीत परिस्थितियों में भी अपने नैतिक मूल्यों और नियमों का पालन करना। 2. आडंबरहीन जीवन: सादगीपूर्ण और मोह-माया से रहित जीवन जीना। 3. सामाजिक सुधार: रूढ़ियों को तोड़कर मानवता और प्रगतिशीलता के विचारों को अपनाना।

यह अध्याय 6 का संशोधित पोस्ट है।

अब हम आपकी सीरीज़ के अगले अध्याय, **'लखनवी अंदाज़'** (क्षितिज गद्य खंड) की ओर बढ़ेंगे। क्या आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?

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