फसल (नागार्जुन) CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर

यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: 'फसल' कविता के अनुसार, फसल क्या है? उत्तर: कविता के अनुसार, फसल नदियों के पानी का जादू, हाथों के स्पर्श की महिमा, मिट्टी का गुणधर्म और हवा की थिरकन का সম্মিলিত रूप है।
2. प्रश्न: फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा' क्यों कहा गया है? उत्तर: क्योंकि फसल को उगाने में किसानों के कठोर परिश्रम और मेहनत का योगदान होता है, जो उनके हाथों के स्पर्श से ही संभव है।
3. प्रश्न: फसल के रूपांतरण में किसका योगदान होता है? उत्तर: फसल के रूपांतरण में सूरज की किरणों का योगदान होता है, जो बीजों को अंकुरित कर फसल के रूप में बदल देती हैं।
4. प्रश्न: कविता में किस मिट्टी के गुणधर्म का उल्लेख है? उत्तर: कविता में भूरी-काली-संदली मिट्टी के गुणधर्म का उल्लेख है।
5. प्रश्न: 'कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा' में 'कोटि-कोटि' का क्या अर्थ है? उत्तर: 'कोटि-कोटि' का अर्थ है 'करोड़ों', जो भारत के करोड़ों किसानों का प्रतिनिधित्व करता है।
6. प्रश्न: हवा का फसल उगाने में क्या योगदान है? उत्तर: हवा फसल को जीवन प्रदान करती है; उसकी थिरकन से फसलें लहलहाती हैं और बढ़ती हैं।
7. प्रश्न: कवि के अनुसार, फसल किसका जादू है? उत्तर: कवि के अनुसार, फसल नदियों के पानी का जादू है।
8. प्रश्न: 'फसल' कविता के कवि कौन हैं? उत्तर: 'फसल' कविता के कवि नागार्जुन हैं।
9. प्रश्न: 'सिमटा हुआ संकोच' किसे कहा गया है? उत्तर: 'सिमटा हुआ संकोच' हवा की थिरकन को कहा गया है।
10. प्रश्न: कविता में फसल को किन पाँच तत्वों का परिणाम बताया गया है? उत्तर: फसल को पानी, मिट्टी, धूप, हवा और मानव श्रम, इन पाँच तत्वों का परिणाम बताया गया है।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: 'फसल' कविता में कवि ने फसल उगाने का श्रेय किसे दिया है? उत्तर: कवि ने फसल उगाने का श्रेय किसी एक को न देकर प्रकृति और मनुष्य के সম্মিলিত योगदान को दिया है। इसमें नदियों का पानी, मिट्टी का गुण, सूरज की धूप, हवा की गति और किसान का परिश्रम, सभी शामिल हैं।
12. प्रश्न: 'रूपांतर है सूरज की किरणों का'—इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि फसल बीजों का ही रूपांतरित रूप है और यह रूपांतरण सूरज की किरणों के बिना संभव नहीं है। सूरज की ऊर्जा और प्रकाश से ही बीज अंकुरित होते हैं, पौधे बढ़ते हैं और फसल तैयार होती है।
13. प्रश्न: मिट्टी के 'गुणधर्म' को आप किस तरह परिभाषित करेंगे? उत्तर: मिट्टी के 'गुणधर्म' से तात्पर्य मिट्टी में मौजूद उन सभी पोषक तत्वों, खनिजों और जैविक गुणों से है, जो बीजों को अंकुरित करने और पौधों को बढ़ने के लिए आवश्यक होते हैं। हर मिट्टी की अपनी अलग उर्वरा शक्ति होती है, जो फसल के प्रकार और गुणवत्ता को निर्धारित करती है।
14. प्रश्न: फसल को 'नदियों के पानी का जादू' कहने के पीछे क्या कारण है? (CBSE PYQ) उत्तर: फसल को 'नदियों के पानी का जादू' कहने के पीछे यह कारण है कि पानी के बिना फसल की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पानी ही बीजों को अंकुरित करता है और पौधों को सींचकर उन्हें हरा-भरा रखता है। पानी का स्पर्श पाकर सूखी और निर्जीव धरती भी सोना उगलने लगती है, जो किसी जादू से कम नहीं है।
15. प्रश्न: 'फसल' कविता हमें उपभोक्तावादी संस्कृति से कैसे दूर ले जाती है? उत्तर: उपभोक्तावादी संस्कृति हमें तैयार वस्तुओं का उपभोग करना सिखाती है, जबकि यह कविता हमें उन वस्तुओं के निर्माण की प्रक्रिया से जोड़ती है। यह हमें बताती है कि थाली में आया अनाज केवल एक वस्तु नहीं, बल्कि प्रकृति और किसान के अथक परिश्रम का परिणाम है। यह हमें सृजन और श्रम का सम्मान करना सिखाती है।
16. प्रश्न: 'फसल' कविता की भाषा-शैली की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: इस कविता की भाषा-शैली की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं: 1. सरल और सहज भाषा: कवि ने आम बोलचाल की खड़ी बोली का प्रयोग किया है, जिससे कविता का भाव आसानी से समझ आ जाता है। 2. प्रश्न शैली का प्रयोग: कविता की शुरुआत में 'फसल क्या है?' जैसे प्रश्न पूछकर कवि पाठक की जिज्ञासा जगाता है और फिर स्वयं उत्तर देकर विषय को स्पष्ट करता है।
17. प्रश्न: कविता में प्रकृति के किन-किन तत्वों का मानवीकरण किया गया है? उत्तर: कविता में प्रकृति के कई तत्वों का मानवीकरण किया गया है, जैसे—नदियों के पानी में 'जादू' होना, हवा का 'थिरकना' और हाथों के स्पर्श में 'गरिमा' और 'महिमा' होना। इन प्रयोगों से प्रकृति के तत्व सजीव और क्रियाशील प्रतीत होते हैं।
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18. प्रश्न: कवि नागार्जुन किसान को इतना महत्व क्यों देते हैं? उत्तर: कवि नागार्जुन किसान को इतना महत्व इसलिए देते हैं क्योंकि प्रकृति के सारे तत्व (पानी, मिट्टी, हवा, धूप) उपलब्ध होने पर भी बिना किसान के श्रम के फसल तैयार नहीं हो सकती। किसान ही अपनी मेहनत से इन सभी तत्वों को एक साथ लाकर फसल का सृजन करता है।
19. प्रश्न: 'सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का'—पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है? उत्तर: इस पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि फसल को तैयार करने में हवा का भी योगदान है। हवा की थिरकन या प्रवाह पौधों को प्राणवायु प्रदान करती है। यहाँ 'सिमटा हुआ संकोच' हवा के हल्के और मंद प्रवाह का एक सुंदर चित्रात्मक वर्णन है, जो फसल को धीरे-धीरे बढ़ने में मदद करता है।
20. प्रश्न: फसल के संदर्भ में 'महिमा' और 'गरिमा' शब्दों का प्रयोग क्यों किया गया है? उत्तर: 'महिमा' और 'गरिमा' शब्दों का प्रयोग किसान के श्रम के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए किया गया है। कवि यह बताना चाहता है कि किसान का श्रम कोई साधारण कार्य नहीं है, बल्कि यह एक महान और गौरवशाली कार्य है। इसी श्रम से करोड़ों लोगों का पेट भरता है, इसलिए यह महिमा और गरिमा से परिपूर्ण है।

खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: 'फसल' कविता का प्रतिपाद्य या मूल संदेश क्या है? अपने शब्दों में लिखिए। (CBSE PYQ) उत्तर: 'फसल' कविता का मूल संदेश यह है कि फसल किसी एक व्यक्ति या शक्ति का परिणाम न होकर प्रकृति और मनुष्य के সম্মিলিত प्रयास का प्रतिफल है। कवि यह बताना चाहता है कि फसल के अस्तित्व में नदियों के पानी, विभिन्न प्रकार की मिट्टी, सूरज की किरणों, हवा और सबसे बढ़कर करोड़ों किसानों के अथक परिश्रम का योगदान है। यह कविता हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और किसानों के श्रम का सम्मान करने की प्रेरणा देती है।
22. प्रश्न: कवि ने 'फसल' की जो परिभाषा दी है, क्या आप उससे सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। उत्तर: हाँ, मैं कवि द्वारा दी गई फसल की परिभाषा से पूरी तरह सहमत हूँ। कवि ने फसल को केवल एक पौधा या अनाज न मानकर उसे एक संपूर्ण सृजन प्रक्रिया के रूप में देखा है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी फसल के लिए पानी, मिट्टी के पोषक तत्व, सूर्य का प्रकाश (प्रकाश संश्लेषण के लिए), हवा (कार्बन डाइऑक्साइड के लिए) और किसान का श्रम (बुवाई, सिंचाई, कटाई) अनिवार्य है। कवि की परिभाषा वैज्ञानिक तथ्यों को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत करती है, जो अत्यंत सटीक और सार्थक है।
23. प्रश्न: 'फसल' कविता में कवि की वैज्ञानिक और सामाजिक सोच किस प्रकार प्रकट होती है? उत्तर: कविता में कवि की वैज्ञानिक सोच इस बात से प्रकट होती है कि वह फसल उगाने के लिए आवश्यक सभी प्राकृतिक तत्वों—पानी, मिट्टी, धूप, हवा—का सही उल्लेख करता है। यह कृषि विज्ञान का मूल आधार है। उसकी सामाजिक सोच इस बात से प्रकट होती है कि वह फसल का श्रेय किसी एक व्यक्ति को न देकर 'कोटि-कोटि हाथों' यानी करोड़ों किसानों को देता है। वह श्रम के महत्व को समझता है और समाज में किसान के योगदान को गरिमा प्रदान करता है।
24. प्रश्न: 'फसल' कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए। उत्तर: 'फसल' शीर्षक पूर्णतः सार्थक और उपयुक्त है। पूरी कविता 'फसल' के ही इर्द-गिर्द घूमती है। कविता की शुरुआत 'फसल क्या है?' प्रश्न से होती है और अंत तक कवि इसी प्रश्न का उत्तर विभिन्न प्राकृतिक और मानवीय संदर्भों में देता है। यह शीर्षक संक्षिप्त, विषय-केंद्रित और आकर्षक है। यह पाठक को सीधे कविता के मूल भाव से जोड़ता है और उसे यह सोचने पर विवश करता है कि फसल वास्तव में किन-किन तत्वों का परिणाम है।
25. प्रश्न: 'एक के नहीं, दो के नहीं, ढेर सारी नदियों के पानी का जादू'—इस पंक्ति का भाव-सौंदर्य और शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। उत्तर: भाव-सौंदर्य: इस पंक्ति का भाव है कि फसल किसी एक नदी के पानी से नहीं, बल्कि देश की असंख्य नदियों के जल से सिंचित होती है। यह भारत की भौगोलिक विविधता और नदियों की व्यापकता को दर्शाता है। शिल्प-सौंदर्य: 'एक के नहीं, दो के नहीं' की पुनरावृत्ति कथन में बल पैदा करती है। 'पानी का जादू' में रूपक अलंकार है। भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण है। यह पंक्ति फसल के निर्माण में जल के महत्व को काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत करती है।
26. प्रश्न: प्रकृति और मनुष्य के सहयोग से ही सृजन संभव है—'फसल' कविता के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए। उत्तर: 'फसल' कविता इस कथन को पूरी तरह चरितार्थ करती है। कविता में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि फसल उगाने के लिए प्रकृति के तत्व जैसे पानी, मिट्टी, धूप और हवा आवश्यक हैं, लेकिन वे अकेले फसल नहीं उगा सकते। इन प्राकृतिक तत्वों का सही उपयोग करने और उन्हें फसल में बदलने के लिए मनुष्य का श्रम अनिवार्य है। किसान ही बीज बोता है, सिंचाई करता है और देखभाल करता है। इस प्रकार, यह कविता सिद्ध करती है कि जब प्रकृति और मनुष्य एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, तभी 'फसल' जैसा अद्भुत सृजन संभव हो पाता है।
27. प्रश्न: कविता में किसानों के प्रति जो सम्मान व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर: कविता में किसानों के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त हुआ है। कवि फसल को 'लाख-लाख कोटि-कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहता है। इन शब्दों के माध्यम से कवि किसान के श्रम को एक साधारण काम न मानकर उसे गौरवपूर्ण और महान कार्य बताता है। वह यह स्थापित करता है कि किसान के बिना प्रकृति की कोई भी देन फसल में नहीं बदल सकती। यह कविता हमें अन्नदाता किसान का महत्व समझाती है और उनके प्रति कृतज्ञ होने का संदेश देती है।
28. प्रश्न: 'फसल' कविता का उद्देश्य क्या है? यह आज के समय में कितनी प्रासंगिक है? उत्तर: इस कविता का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि जिस अनाज को हम सहजता से प्राप्त कर लेते हैं, वह प्रकृति और किसान के कठिन परिश्रम का मिला-जुला परिणाम है। इसका उद्देश्य लोगों में किसानों और प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव जगाना है। यह कविता आज के समय में अत्यंत प्रासंगिक है, क्योंकि आज लोग शहरीकरण और उपभोक्तावाद के कारण प्रकृति और कृषि से दूर होते जा रहे हैं। यह कविता हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और भोजन के महत्व को समझाती है।
29. प्रश्न: 'भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुणधर्म'—इस पंक्ति के माध्यम से कवि भारत की किस विशेषता की ओर संकेत कर रहा है? उत्तर: इस पंक्ति के माध्यम से कवि भारत की भौगोलिक और कृषि-संबंधी विविधता की ओर संकेत कर रहा है। भारत एक विशाल देश है, जहाँ विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ (जैसे जलोढ़, काली, लाल, लैटेराइट) पाई जाती हैं। 'भूरी-काली-संदली' शब्द इन्हीं विविध मिट्टियों का प्रतीक हैं। कवि बताना चाहता है कि भारत की फसलें इन विभिन्न प्रकार की मिट्टियों के अपने-अपने पोषक गुणों का परिणाम हैं।
30. प्रश्न: कवि फसल के लिए किसी एक तत्व को श्रेय न देकर अनेक तत्वों के योगदान की बात क्यों करता है? उत्तर: कवि फसल के लिए किसी एक तत्व को श्रेय न देकर अनेक तत्वों के योगदान की बात इसलिए करता है क्योंकि वह सहयोग और सामूहिकता के महत्व को स्थापित करना चाहता है। उसका मानना है कि कोई भी महान सृजन अकेले संभव नहीं है। जिस प्रकार फसल के लिए पानी, मिट्टी, हवा, धूप और श्रम, सभी का सहयोग आवश्यक है, उसी प्रकार समाज में भी किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी का সম্মিলিত प्रयास अनिवार्य है। यह कविता हमें टीम वर्क और सहयोग की भावना सिखाती है।

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