अट नहीं रही है (सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला') CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर

यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता में किस ऋतु के सौंदर्य का वर्णन है? उत्तर: इस कविता में वसंत ऋतु के सौंदर्य का, विशेषकर फाल्गुन मास के उल्लासपूर्ण सौंदर्य का वर्णन है।
2. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' में 'अट नहीं रही है' का क्या अर्थ है? उत्तर: इसका अर्थ है कि फाल्गुन का सौंदर्य इतना अधिक और व्यापक है कि वह प्रकृति में समाहित नहीं हो पा रहा है।
3. प्रश्न: फाल्गुन की शोभा को 'मंद गंध पुष्प माल' से क्यों तुलना की गई है? उत्तर: फाल्गुन की शोभा को मंद गंध पुष्प माल से तुलना इसलिए की गई है क्योंकि सुगंधित फूल चारों ओर छा जाते हैं, मानो फाल्गुन ने स्वयं अपने गले में फूलों की माला पहन ली हो।
4. प्रश्न: 'घर-घर भर देते हो'—इस पंक्ति का क्या आशय है? उत्तर: इसका आशय है कि फाल्गुन की सुगंधित हवा हर घर को अपनी मनमोहक सुगंध और उल्लास से भर देती है।
5. प्रश्न: कवि अपनी आँख कहाँ से हटा नहीं पा रहा है? उत्तर: कवि फाल्गुन की प्राकृतिक सुंदरता से अपनी आँख हटा नहीं पा रहा है।
6. प्रश्न: फाल्गुन में पेड़ों की डालियों का स्वरूप कैसा हो गया है? उत्तर: फाल्गुन में पेड़ों की डालियाँ कहीं हरी तो कहीं लाल पत्तियों और फूलों से लद गई हैं।
7. प्रश्न: 'पाट-पाट शोभा श्री' का क्या अर्थ है? उत्तर: 'पाट-पाट शोभा श्री' का अर्थ है कि जगह-जगह पर सौंदर्य और शोभा बिखरी पड़ी है।
8. प्रश्न: फाल्गुन में आकाश कैसा लग रहा है? उत्तर: फाल्गुन में आकाश पंख फैलाकर उड़ते हुए पक्षियों के समूह से भरा हुआ लग रहा है।
9. प्रश्न: कविता में किसका मानवीकरण किया गया है? उत्तर: कविता में फाल्गुन मास का मानवीकरण किया गया है।
10. प्रश्न: फाल्गुन के आने पर कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: फाल्गुन के आने पर कवि का मन भी उल्लास और कल्पनाओं से भर जाता है और वह आकाश में उड़ने को आतुर हो जाता है।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: कवि निराला ने फाल्गुन के सौंदर्य को किस रूप में चित्रित किया है? उत्तर: कवि ने फाल्गुन के सौंदर्य को एक मादक और सर्वव्यापी उल्लास के रूप में चित्रित किया है। फाल्गुन की सुंदरता हर जगह (घरों में, पेड़-पौधों में और मनुष्य के मन में) इतनी अधिक फैल चुकी है कि वह प्रकृति में समा नहीं पा रही है।
12. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता में फाल्गुन की शोभा कहाँ-कहाँ दिखाई दे रही है? (CBSE PYQ) उत्तर: फाल्गुन की शोभा प्रकृति के हर कण में दिखाई दे रही है: 1. पेड़ों पर लाल-हरे पत्ते और सुगंधित फूल छाए हैं। 2. आकाश में पंख फैलाए पक्षी उड़ रहे हैं। 3. मंद हवा चल रही है, जिससे हर घर सुगंध से भर गया है। 4. मनुष्य के मन में भी उल्लास भर गया है।
13. प्रश्न: 'कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो'— इस पंक्ति में निहित भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। उत्तर: इस पंक्ति में फाल्गुन मास का मानवीकरण किया गया है। इसका भाव है कि जब मंद हवा चलती है (साँस लेती है) तो चारों ओर फूलों की सुगंध फैल जाती है। यह सुगंध इतनी मादक होती है कि मानो हर घर और दिशा उल्लास और आनंद से भर गया हो।
14. प्रश्न: फाल्गुन और अन्य ऋतुओं में क्या अंतर है? 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर बताइए। उत्तर: अन्य ऋतुओं का प्रभाव प्रकृति के कुछ हिस्सों पर ही सीमित रहता है, लेकिन फाल्गुन का सौंदर्य सर्वव्यापी होता है। इसकी सुंदरता केवल पेड़-पौधों तक ही नहीं, बल्कि आकाश, हवा और मनुष्य के मन तक में समा जाती है, जिससे चारों ओर केवल उल्लास और मादकता का वातावरण बन जाता है।
15. प्रश्न: कवि की आँख फाल्गुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? उत्तर: कवि की आँख फाल्गुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि चारों ओर का दृश्य अत्यंत मनमोहक है। प्रकृति का कण-कण सौंदर्य से परिपूर्ण है। रंग-बिरंगे फूल, नई पत्तियाँ, सुगंधित हवा और पक्षियों से भरा आकाश, यह सब मिलकर एक ऐसा अद्भुत दृश्य बनाते हैं, जिसे कवि निरंतर निहारते रहना चाहता है।
16. प्रश्न: 'उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो'—पंक्ति में निहित अलंकार और अर्थ स्पष्ट कीजिए। उत्तर: इस पंक्ति में 'पर-पर' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। इसका अर्थ है कि फाल्गुन की सुंदरता इतनी मनमोहक है कि वह मनुष्य के मन को भी कल्पना के पंख लगाकर आकाश में उड़ने के लिए प्रेरित कर देती है। यह प्रकृति के सौंदर्य का मन पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाता है।
17. प्रश्न: कविता में प्रयुक्त 'लाल' और 'हरे' रंग किसका प्रतीक हैं? उत्तर: कविता में 'हरे' रंग पेड़ों पर आई नई पत्तियों के प्रतीक हैं, जो विकास और नवजीवन को दर्शाते हैं। वहीं, 'लाल' रंग नए खिले फूलों का प्रतीक है, जो सौंदर्य, उल्लास और प्रेम का सूचक है। यह दोनों रंग मिलकर वसंत की जीवंतता को प्रकट करते हैं।
18. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: इस कविता की भाषा की दो विशेषताएँ हैं: 1. सरल और सहज खड़ी बोली: कवि ने आम बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया है, जिससे कविता आसानी से समझ आ जाती है। 2. संगीतात्मकता और लय: कविता में एक अद्भुत लय और प्रवाह है, जो उसे गेय बनाती है। छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग इसे और प्रभावी बनाता है।
19. प्रश्न: 'उर' में 'मंद गंध पुष्प माल' का क्या तात्पर्य है? उत्तर: इसका तात्पर्य है कि फाल्गुन के आगमन पर पेड़-पौधे फूलों से इस तरह लद गए हैं कि ऐसा प्रतीत होता है मानो फाल्गुन रूपी नायक ने अपने हृदय (उर) पर धीमी सुगंध वाले फूलों की माला पहन रखी हो। यह प्रकृति के श्रृंगार का सुंदर चित्रण है।
20. प्रश्न: फाल्गुन मास का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: फाल्गुन मास का मानव जीवन पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रकृति का सौंदर्य देखकर मनुष्य के मन में भी उल्लास, उमंग और नई ऊर्जा का संचार होता है। उसका मन कल्पनाशील हो जाता है और वह भी प्रकृति के साथ एकाकार होकर आनंदित होना चाहता है।

खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता में कवि ने फाल्गुन के सौंदर्य का मानवीकरण किस प्रकार किया है? स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: कवि ने फाल्गुन को एक मानव या देवता के रूप में चित्रित किया है, जिसकी शोभा इतनी अधिक है कि वह समा नहीं पा रही है। 1. साँस लेना: फाल्गुन को साँस लेते हुए दिखाया गया है, जिससे घर-घर में खुशबू भर जाती है। 2. कंठी पहनना: कवि ने फूलों की मालाओं को फाल्गुन के गले में पड़ी हुई मंद गंध की मालाओं (कंठी) के रूप में चित्रित किया है। 3. उड़ने की चाह: फाल्गुन मनुष्य के मन में भी पंख लगाकर उड़ने की इच्छा जगा देता है। इस प्रकार, कवि ने फाल्गुन को एक सजीव सत्ता के रूप में प्रस्तुत किया है।
22. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता में फाल्गुन की सुंदरता का मानव मन पर क्या प्रभाव दिखाया गया है? उत्तर: फाल्गुन की सुंदरता का मानव मन पर सकारात्मक और मादक प्रभाव पड़ता है: 1. उल्लास और उमंग: लोगों के चेहरे और हृदय खुशी और उत्साह से भर जाते हैं। 2. आत्मिक शांति: सुंदरता इतनी अद्भुत है कि कवि की आँखें उससे हटना नहीं चाहतीं, जिससे मन को गहन शांति मिलती है। 3. कल्पनाशीलता: प्रकृति का सौंदर्य मन को कल्पना के पंख लगाकर आकाश में उड़ने को विवश कर देता है, जिससे व्यक्ति का मन रचनात्मक और आनंदित हो उठता है।
23. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर वसंत ऋतु के सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: 'अट नहीं रही है' कविता के अनुसार, वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य अपनी चरम सीमा पर होता है। इस समय चारों ओर मादक वातावरण होता है। पेड़ों पर हरी और लाल पत्तियाँ और फूल लद जाते हैं। हवा में फूलों की सुगंध घुल जाती है, जो हर घर को महका देती है। आकाश में पक्षी उड़ान भरते हैं। प्रकृति की यह सुंदरता इतनी व्यापक होती है कि वह धरती और आकाश में समा नहीं पाती और मनुष्य के मन को भी उल्लास से भर देती है।
24. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता का प्रतिपाद्य या मूल भाव क्या है? उत्तर: इस कविता का मूल भाव फाल्गुन मास के सर्वव्यापी और मनमोहक सौंदर्य को व्यक्त करना है। कवि यह दर्शाना चाहता है कि फाल्गुन का प्रभाव केवल प्रकृति तक सीमित नहीं है, बल्कि वह मानव मन को भी गहराई से प्रभावित करता है, उसे आनंद और उल्लास से भर देता है। कविता प्रकृति और मनुष्य के बीच के गहरे रिश्ते को स्थापित करती है और यह संदेश देती है कि प्रकृति का सौंदर्य जीवन में नई ऊर्जा और चेतना का संचार करता है।
25. प्रश्न: 'आभा फागुन की तन सट नहीं रही है।' - इस पंक्ति का आशय विस्तार से समझाइए। उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि फाल्गुन मास की सुंदरता और चमक (आभा) इतनी अधिक है कि वह शरीर में समा नहीं पा रही है, यानी वह बाहर छलक रही है। यहाँ 'तन' से आशय प्रकृति के कण-कण और मनुष्य के शरीर से है। कवि कहना चाहता है कि वसंत का सौंदर्य इतना तीव्र और व्यापक है कि वह हर वस्तु से फूट-फूटकर बाहर आ रहा है। यह फाल्गुन के सौंदर्य की अधिकता और उसकी सर्वव्यापकता को दर्शाने वाली एक प्रभावशाली पंक्ति है।
26. प्रश्न: 'अट नहीं रही है' कविता के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए। उत्तर: इस कविता का शिल्प-सौंदर्य अत्यंत आकर्षक है: 1. मानवीकरण: फाल्गुन का मानवीकरण किया गया है। 2. अनुप्रास अलंकार: 'पाट-पाट', 'घर-घर', 'पर-पर' में अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का सुंदर प्रयोग है। 3. तत्सम और तद्भव शब्दों का मेल: कविता में 'नभ', 'उर', 'गंध' जैसे तत्सम शब्दों के साथ 'साँस', 'आँख' जैसे तद्भव शब्दों का सहज प्रयोग है। 4. संक्षिप्तता: कवि ने बहुत कम शब्दों में गहन भावों को व्यक्त किया है। 5. गेयता: कविता में संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।
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27. प्रश्न: निराला जी की कविता 'उत्साह' और 'अट नहीं रही है' के भावों में क्या मुख्य अंतर है? उत्तर: निराला जी की दोनों कविताओं के भावों में मुख्य अंतर यह है कि 'उत्साह' एक आह्वान गीत है, जिसमें क्रांति और विद्रोह का ओजपूर्ण स्वर है। इसमें कवि बादलों से गरजकर समाज में परिवर्तन लाने का आग्रह करता है। इसके विपरीत, 'अट नहीं रही है' एक सौंदर्य-बोधक कविता है। इसमें फाल्गुन के कोमल, मधुर और सर्वव्यापी सौंदर्य का चित्रण है। जहाँ पहली कविता में वीर और रौद्र रस है, वहीं दूसरी कविता में श्रृंगार रस की प्रधानता है।
28. प्रश्न: होली का त्योहार फाल्गुन मास में ही मनाया जाता है। कविता में वर्णित प्रकृति का इस त्योहार से क्या संबंध है? उत्तर: होली का त्योहार फाल्गुन मास में मनाया जाता है और इसका कविता में वर्णित प्रकृति से गहरा संबंध है। कविता में फाल्गुन के जिस उल्लास, उमंग और मादकता का वर्णन है, वही भाव होली के त्योहार में भी दिखाई देता है। प्रकृति के रंग-बिरंगे फूल और नई पत्तियाँ होली के रंगों का प्रतीक हैं। जिस तरह प्रकृति सौंदर्य से छलक उठती है, उसी तरह मनुष्य भी रंगों के इस त्योहार में सारे बंधन तोड़कर आनंद और उल्लास में डूब जाता है।
29. प्रश्न: 'आँख हटाता हूँ तो हट नहीं रही है।' - कवि की इस विवशता का कारण क्या है और यह क्या दर्शाती है? उत्तर: कवि की इस विवशता का कारण फाल्गुन का असीम और अद्भुत सौंदर्य है। प्रकृति इतनी मनमोहक लग रही है कि कवि चाहकर भी उससे अपनी दृष्टि नहीं हटा पा रहा है। यह पंक्ति दर्शाती है कि कवि प्रकृति के सौंदर्य के प्रति अत्यंत संवेदनशील है और वह उसमें पूरी तरह डूब चुका है। यह प्रकृति और कवि के बीच एक आत्मीय और गहरे संबंध को प्रकट करता है, जहाँ सौंदर्य दर्शक को अपने वश में कर लेता है।
30. प्रश्न: यदि आपको फाल्गुन की सुंदरता का वर्णन करना हो, तो आप कविता में वर्णित किन उपमाओं का प्रयोग करेंगे और क्यों? उत्तर: यदि मुझे फाल्गुन की सुंदरता का वर्णन करना हो, तो मैं कविता में वर्णित 'साँस लेना', 'घर-घर भर देना' और 'पर-पर कर देना' जैसी उपमाओं का प्रयोग करूँगा। 'साँस लेना' और 'घर-घर भर देना' फाल्गुन की सुगंध की सर्वव्यापकता को बहुत सुंदर ढंग से व्यक्त करता है। 'पर-पर कर देना' वाली उपमा मन पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाने के लिए अद्भुत है, क्योंकि यह बताती है कि वसंत का सौंदर्य केवल बाहरी नहीं है, बल्कि वह मन को भी कल्पनाशील और आनंदित कर देता है। ये उपमाएँ फाल्गुन को एक सजीव और गतिशील सत्ता बना देती हैं।

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