जॉर्ज पंचम की नाक (कमलेश्वर) CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर

यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: जॉर्ज पंचम की लाट कहाँ स्थापित थी? उत्तर: जॉर्ज पंचम की लाट (प्रतिमा) दिल्ली के इंडिया गेट के सामने स्थापित थी।
2. प्रश्न: रानी एलिजाबेथ द्वितीय कहाँ के दौरे पर आने वाली थीं? उत्तर: रानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर आने वाली थीं।
3. प्रश्न: जॉर्ज पंचम की नाक की चिंता किसे थी? उत्तर: सरकारी तंत्र या हुक्कामों को जॉर्ज पंचम की नाक की चिंता थी।
4. प्रश्न: मूर्तिकार ने नाक लगाने के लिए क्या किया? उत्तर: मूर्तिकार ने नाक लगाने के लिए भारत के पहाड़ों और पत्थर की खानों का दौरा किया, ताकि सही पत्थर खोजा जा सके।
5. प्रश्न: मूर्तिकार ने कैसी नाकों को नापकर देखा? उत्तर: मूर्तिकार ने 1942 में शहीद हुए भारतीय नेताओं, मूर्तियों और यहाँ तक कि बच्चों की नाकों को भी नापकर देखा।
6. प्रश्न: अंत में नाक लगाने के लिए क्या निर्णय लिया गया? उत्तर: अंत में किसी भारतीय, जिंदा आदमी की नाक काटकर लाट पर लगाने का निर्णय लिया गया।
7. प्रश्न: जॉर्ज पंचम की नाक क्या प्रतीक है? उत्तर: जॉर्ज पंचम की नाक देश के सम्मान, आत्म-गौरव और औपनिवेशिक मानसिकता का प्रतीक है।
8. प्रश्न: नाक न होने पर सबसे बड़ी परेशानी किसे हुई? उत्तर: नाक न होने पर सबसे बड़ी परेशानी दिल्ली की साज-सज्जा की जिम्मेदारी संभालने वाले सरकारी अधिकारियों को हुई।
9. प्रश्न: अखबारों ने नाक लगने की खबर किस प्रकार छापी? उत्तर: अखबारों ने केवल इतना छापा कि "जॉर्ज पंचम की नाक का मसला हल हो गया" और बाकी सब पर चुप्पी साध ली।
10. प्रश्न: रानी के सूट पर कितना खर्च आया था? उत्तर: रानी के सूट पर करीब 400 पाउंड खर्च आया था।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: रानी एलिजाबेथ के दर्जी की परेशानी क्या थी? उत्तर: रानी के दर्जी की परेशानी यह थी कि रानी भारत, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर जाने वाली थीं। दर्जी को समझ नहीं आ रहा था कि इन तीनों देशों के लिए कौन-कौन से सूट और किस रंग के सूट बनाए जाएँ, ताकि वे हर जगह उपयुक्त लगें।
12. प्रश्न: सरकारी दफ्तरों में मीटिंग क्यों बुलाई गई और इसका क्या परिणाम निकला? उत्तर: जॉर्ज पंचम की टूटी हुई नाक को लेकर चिंता व्यक्त करने और उस पर नाक लगाने की रणनीति बनाने के लिए सरकारी दफ्तरों में मीटिंग बुलाई गई थी। इसका परिणाम यह निकला कि सब एक-दूसरे की जिम्मेदारी टालते रहे और अंत में सारा काम मूर्तिकार को सौंप दिया गया।
13. प्रश्न: मूर्तिकार ने पत्थर न मिलने पर क्या सुझाव दिया? उत्तर: मूर्तिकार ने पत्थर न मिलने पर सुझाव दिया कि 1942 में शहीद हुए भारतीय नेताओं या बच्चों की मूर्तियों की नाकों को नाप लिया जाए, और यदि वे जॉर्ज पंचम की नाक से मेल खाती हों तो उनकी नाक उतारकर लाट पर लगा दी जाए।
14. प्रश्न: फाइलों को फाड़कर क्यों नष्ट कर दिया गया? उत्तर: फाइलों को फाड़कर इसलिए नष्ट कर दिया गया क्योंकि सरकारी दफ्तरों में जॉर्ज पंचम की लाट के निर्माण में प्रयुक्त पत्थर का कोई भी पुराना रिकॉर्ड मौजूद नहीं था। यह सरकारी दफ्तरों की अकर्मण्यता और लापरवाही को दर्शाता है।
15. प्रश्न: मूर्तिकार को क्यों बुलाया गया? उसके बुलाने पर सरकारी तंत्र की क्या प्रतिक्रिया थी? उत्तर: मूर्तिकार को इसलिए बुलाया गया क्योंकि वह कलाकार था और वही मूर्ति की टूटी हुई नाक को ठीक कर सकता था। उसके बुलाने पर सरकारी तंत्र के हाथ-पाँव फूल गए थे क्योंकि उन्हें डर था कि यदि वह नाक लगाने में असफल रहा, तो उनकी प्रतिष्ठा चली जाएगी।
16. प्रश्न: उस समय दिल्ली की साज-सज्जा के लिए कैसी हलचल थी? उत्तर: दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था। सरकारी दफ्तरों में अजीब-सी हड़बड़ी थी। हर कोई रानी के स्वागत के लिए अतिउत्साही था। सड़कों की मरम्मत हो रही थी, लाट की साफ-सफाई हो रही थी और हर जगह चमका-चमकी की जा रही थी।
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17. प्रश्न: मूर्तिकार ने नेताओं की नाक नापने के बाद क्या निष्कर्ष निकाला? उत्तर: मूर्तिकार ने निष्कर्ष निकाला कि जिन भारतीय नेताओं (गाँधी, नेहरू आदि) की मूर्तियों की नाकों को नापा गया, उनमें से किसी की भी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से मेल नहीं खाती थी। वास्तव में, उन सभी देशभक्तों की नाकें जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी थीं।
18. प्रश्न: पाठ में किस मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है? उत्तर: पाठ में गुलामी की मानसिकता, सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता, औपचारिकता और आत्म-सम्मान रहित चाटुकारिता पर व्यंग्य किया गया है। लेखक ने दिखाया है कि आजादी के बाद भी हम विदेशी शासकों के सम्मान के प्रति कितने चिंतित थे।
19. प्रश्न: जिंदा नाक लगाने के बाद अखबारों ने क्या किया और इसका क्या अर्थ है? उत्तर: जिंदा नाक लगाने के बाद अखबारों ने चुप्पी साध ली और केवल इतना छापा कि "मसला हल हो गया है"। इसका अर्थ है कि पत्रकारिता भी सरकारी तंत्र की चाटुकारिता में शामिल हो गई थी और वह इतनी शर्मनाक बात को सार्वजनिक नहीं करना चाहती थी।
20. प्रश्न: दिल्ली में 'सिर्फ नाक नहीं थी' से क्या आशय है? उत्तर: इसका आशय है कि जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक न होने के कारण दिल्ली में रहने वाले लोगों में आत्म-सम्मान और देश के गौरव की कमी थी। सरकारी तंत्र को अपने देश के गौरव से ज़्यादा एक विदेशी शासक के सम्मान की चिंता थी।

खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: जॉर्ज पंचम की नाक का मसला किस मानसिकता को दर्शाता है? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: यह मसला गुलामी की मानसिकता को दर्शाता है। आजादी मिलने के बाद भी भारतीय सरकारी तंत्र औपनिवेशिक शासकों के सम्मान को अपने देश के आत्म-सम्मान से ऊपर रखता है। वे एक विदेशी शासक की टूटी हुई मूर्ति की नाक के लिए इतना परेशान हो जाते हैं कि उसे ठीक करने के लिए किसी जिंदा आदमी की नाक लगाने तक को तैयार हो जाते हैं। यह दिखाता है कि हम मानसिक रूप से अब भी गुलामी की जंजीरों से मुक्त नहीं हो पाए हैं।
22. प्रश्न: रानी के भारत आने पर हुई तैयारियों में किस बात की कमी थी? यह कमी आज के समाज में कैसे दिखाई देती है? (CBSE PYQ) उत्तर: रानी के आने पर हुई तैयारियों में देश के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की कमी थी। हर कोई रानी को खुश करने में लगा था, लेकिन किसी ने भी यह प्रश्न नहीं उठाया कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक लगाने का मतलब शहीदों का अपमान है। यह कमी आज के समाज में भी पतनशील नैतिकता, पद के लिए चाटुकारिता और अपने मूल्यों को त्यागकर दूसरों को खुश करने की प्रवृत्ति में दिखाई देती है।
23. प्रश्न: मूर्तिकार ने देश भर का दौरा क्यों किया? इस दौरे का क्या परिणाम निकला? उत्तर: मूर्तिकार ने लाट पर लगाने वाले पत्थर के प्रकार और रंग को खोजने के लिए देश भर का दौरा किया। वह भारत के हर पहाड़ और पत्थर की खान में गया। परिणाम यह निकला कि उसे उस किस्म का पत्थर नहीं मिला, क्योंकि वह पत्थर विदेशी था। इसके बाद उसने भारतीय नेताओं की मूर्तियों को नापकर देखने का असफल प्रयास किया। यह दौरा दर्शाता है कि सरकारी अधिकारी समस्या के मूल को समझने के बजाय केवल औपचारिकताओं को पूरा करने में लगे हुए थे।
24. प्रश्न: जिंदा नाक लगाने की बात किस स्तर की चाटुकारिता दर्शाती है? वर्णन कीजिए। उत्तर: जिंदा नाक लगाने की बात चरम सीमा की बेशर्मी और चाटुकारिता दर्शाती है। यह दिखाता है कि सरकारी तंत्र अपनी विफलता (नाक न खोज पाने की) को छिपाने और विदेशी रानी को खुश करने के लिए मानवीय मूल्यों को भी त्यागने को तैयार था। किसी जिंदा आदमी की नाक लगाना देश के आत्म-सम्मान की हत्या करने जैसा है, जो सरकारी हुक्कामों के नैतिक पतन को उजागर करता है।
25. प्रश्न: 'लाट की नाक तो लग गई, पर उस दिन अखबारों में एक खबर नहीं छपी...' इसका क्या अर्थ है? (CBSE PYQ) उत्तर: इसका अर्थ है कि उस दिन कोई खुशी या गर्व का माहौल नहीं था, बल्कि शर्म और संवेदनहीनता का माहौल था। नाक लगने की खबर इसलिए नहीं छपी क्योंकि यह किसी जिंदा आदमी की नाक थी। यदि अखबार यह खबर छापते तो पूरे देश का आत्म-सम्मान खतरे में पड़ जाता। इसलिए, मीडिया ने सरकारी तंत्र के साथ मिलकर सत्य को छिपाने का फैसला किया, जो मीडिया के पतन को भी दर्शाता है।
26. प्रश्न: मूर्तिकार को बुलाने पर सरकारी तंत्र के हाथ-पाँव क्यों फूल गए? (CBSE PYQ) उत्तर: मूर्तिकार को बुलाने पर सरकारी तंत्र के हाथ-पाँव इसलिए फूल गए क्योंकि वे अपनी विफलता से डरते थे। वे जानते थे कि यदि नाक नहीं लग पाई तो रानी के सामने उनकी बहुत बदनामी होगी। वे अपनी नौकरी और प्रतिष्ठा बचाना चाहते थे। इस डर ने उन्हें नैतिकता और स्वाभिमान को ताक पर रखकर कोई भी हल निकालने के लिए मजबूर कर दिया।
27. प्रश्न: पाठ में 'नाक' किसका प्रतीक है? इस प्रतीक के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं? उत्तर: 'नाक' यहाँ सम्मान, स्वाभिमान, प्रतिष्ठा और गौरव का प्रतीक है। लेखक इस प्रतीक के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि आजादी के बाद भी भारतीय सरकारी तंत्र में आत्म-सम्मान की कमी थी। उन्हें विदेशी शासक के सम्मान की चिंता थी, जबकि उन्हें अपने देश और शहीदों के गौरव को सर्वोच्च स्थान देना चाहिए था। नाक कटना यानी बेइज्जती होना, और इसे बचाना यानी आत्म-गौरव बनाए रखना।
28. प्रश्न: मूर्तिकार ने शहीद बच्चों की नाकों को नापने के बाद क्या कहा? यह घटना क्या सिद्ध करती है? उत्तर: मूर्तिकार ने कहा कि शहीद बच्चों की नाकें भी जॉर्ज पंचम की लाट की नाक से बड़ी निकलीं। यह घटना सिद्ध करती है कि भले ही बच्चे छोटे थे, लेकिन उनका आत्म-त्याग और देश के प्रति गौरव जॉर्ज पंचम के सम्मान से कहीं अधिक बड़ा था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान मूल्यों को स्थापित करता है।
29. प्रश्न: जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भारतीय नेता या बच्चे की नाक क्यों नहीं लग सकी? उत्तर: जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, देशभक्त या बच्चे की नाक इसलिए नहीं लग सकी क्योंकि उनकी नाकें जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी थीं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि भारतीय नायकों का सम्मान और स्वाभिमान एक विदेशी शासक के सम्मान से अत्यंत ऊँचा था।
30. प्रश्न: कहानी में सरकारी तंत्र की किस कमजोरी पर व्यंग्य किया गया है? विस्तार से स्पष्ट कीजिए। उत्तर: कहानी में सरकारी तंत्र की निम्नलिखित कमजोरियों पर व्यंग्य किया गया है: 1. अकर्मण्यता: सरकारी दफ्तरों में लाट के पत्थर का कोई रिकॉर्ड न मिलना उनकी कामचोरी और लापरवाही को दर्शाता है। 2. औपचारिकता: वे समस्या के मूल को समझने के बजाय केवल रानी को खुश करने की औपचारिकता में लगे थे। 3. गुलामी की मानसिकता और चाटुकारिता: वे एक विदेशी शासक की नाक के लिए देश के स्वाभिमान को दाँव पर लगाने को तैयार थे। यह उनकी आत्म-सम्मानहीनता को दर्शाता है।

यह अध्याय 12 का संशोधित पोस्ट है।

चूँकि हमने कृतिका भाग-2 के सभी अध्याय पूरे कर लिए हैं, अब हम व्याकरण खंड की ओर बढ़ेंगे। अगला पोस्ट 'वाच्य और पद-परिचय' पर केंद्रित होगा। क्या आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?

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