माता का अँचल (शिवपूजन सहाय) CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर

CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर
यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: लेखक के बचपन का नाम क्या था? उत्तर: लेखक के बचपन का नाम तारकेश्वरनाथ था।
2. प्रश्न: लेखक अपने पिता को किस नाम से पुकारते थे? उत्तर: लेखक अपने पिता को 'बाबूजी' कहकर पुकारते थे।
3. प्रश्न: लेखक का असली नाम क्या था? उत्तर: लेखक का असली नाम भोलानाथ था, जो उनके पिता ने दिया था।
4. प्रश्न: लेखक के पिता किसका पाठ करते थे? उत्तर: लेखक के पिता रामायण का पाठ करते थे।
5. प्रश्न: पिताजी लेखक को अपने साथ कहाँ बिठाकर पूजा करते थे? उत्तर: पिताजी लेखक को अपने पास आसन पर बिठाकर पूजा करते थे।
6. प्रश्न: लेखक के पिता आटा की गोलियाँ किसे खिलाते थे? उत्तर: लेखक के पिता आटा की गोलियाँ मछलियों को खिलाते थे।
7. प्रश्न: लेखक के मित्रों की टोली कौन-सा खेल खेलती थी? उत्तर: लेखक के मित्र नाच और नाटक, शादी-ब्याह और खेती का खेल खेलते थे।
8. प्रश्न: लेखक को कौन-सा खाना खाने में मज़ा नहीं आता था? उत्तर: लेखक को माँ द्वारा ज़बरदस्ती खिलाया गया खाना खाने में मज़ा नहीं आता था।
9. प्रश्न: लेखक के मित्र किस जीव को देखकर डरकर भाग गए थे? उत्तर: लेखक के मित्र साँप को देखकर डरकर भाग गए थे।
10. प्रश्न: बच्चों ने किस आदमी को सताया था? उत्तर: बच्चों ने 'मूसन तिवारी' नामक एक बुड्ढे को सताया था।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: 'माता का अँचल' पाठ के आधार पर भोलानाथ और उसके पिता के बीच के संबंध का वर्णन कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: भोलानाथ और उसके पिता के बीच अत्यंत प्रेमपूर्ण और दोस्ताना संबंध था। पिता उसे अपने साथ ही सुलाते, नहलाते और खिलाते थे। वे भोलानाथ को कंधे पर बिठाकर गंगा ले जाते, और रामनामा बहियों में राम नाम लिखते थे। भोलानाथ अपने पिता के साथ ही खेल में भी शामिल होता था। पिता का स्नेह भोलानाथ को सुरक्षा और प्रसन्नता देता था।
12. प्रश्न: लेखक की माता का स्वभाव कैसा था? उत्तर: लेखक की माता का स्वभाव ममतामयी, स्नेही और व्यावहारिक था। वह अपने बच्चे को प्यार से खिलाती थी, जबकि पिता उसे अपनी मर्ज़ी से खाने देते थे। जब भोलानाथ डरकर माता के आँचल में छिपा, तो माता ने उसे घावों पर हल्दी लगाई और उसे सांत्वना दी। उनका स्वभाव वात्सल्य और ममता से भरा था।
13. प्रश्न: भोलानाथ और उसके साथी कौन-कौन से खेल खेलते थे? उत्तर: भोलानाथ और उसके साथी कई तरह के मनोरंजक खेल खेलते थे। वे चबूतरे को नाटक घर बनाकर नाटक खेलते थे, शादी का खेल खेलते थे जिसमें कनस्तर का तंबूरा बनता था। वे खेती का खेल भी खेलते थे, जिसमें ईंटों से खेत बनाते और पतली रस्सी से कुआँ बनाते थे।
14. प्रश्न: बच्चे मूसन तिवारी को देखकर क्यों भाग खड़े हुए? उत्तर: बच्चों ने मूसन तिवारी नामक एक बुड्ढे को चिढ़ाया था। मूसन तिवारी गुस्से में बच्चों को पकड़ने के लिए दौड़े। बच्चे डर गए और भाग खड़े हुए। जब बच्चे भागते-भागते रास्ते में रोना-धोना भूल गए, तो इससे बच्चों की शरारती और बेफिक्री भरी प्रकृति का पता चलता है।
15. प्रश्न: 'माता का अँचल' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: यह शीर्षक पूरी तरह सार्थक है क्योंकि यह पाठ के केंद्रीय भाव - माँ की ममता और सुरक्षा - को दर्शाता है। भले ही भोलानाथ पिता के साथ ज़्यादा समय बिताता था, लेकिन जब वह साँप के डर से भयभीत हुआ, तो उसे पिता की गोदी में नहीं, बल्कि माँ के आँचल में ही सुरक्षित महसूस हुआ। विपत्ति में माँ का स्नेह और सुरक्षा बच्चे को सबसे अधिक सहारा देता है।
16. प्रश्न: बच्चों द्वारा खेले जाने वाले खेल आज के खेलों से किस प्रकार भिन्न थे? उत्तर: बच्चों द्वारा खेले जाने वाले खेल पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश और सामाजिक जीवन पर आधारित थे (जैसे खेती, नाटक, शादी)। ये खेल सादगी भरे, सामूहिक और रचनात्मक होते थे, जिनमें किसी महँगे उपकरण की ज़रूरत नहीं होती थी। आज के खेल, इसके विपरीत, अक्सर तकनीकी, व्यक्तिगत और महँगे उपकरणों पर निर्भर होते हैं।
17. प्रश्न: भोलानाथ का अपने पिता से गहरा जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह माँ की शरण में क्यों जाता है? (CBSE PYQ) उत्तर: भोलानाथ का पिता से स्नेह था, लेकिन विपदा के समय वह माँ की शरण में जाता है क्योंकि माँ का आँचल ममता, सुरक्षा और सहज सांत्वना का प्रतीक होता है। पिता स्नेह देते हैं, पर माँ भावनात्मक और शारीरिक सुरक्षा देती है। साँप के डर से भोलानाथ को माँ के आँचल की गर्माहट और स्नेह ही सबसे अधिक सुरक्षित लगा।
18. प्रश्न: लेखक के पिता किस प्रकार बच्चों के खेल में शामिल होते थे? उत्तर: लेखक के पिता भोलानाथ और उसके दोस्तों के खेल को देखकर खुश होते थे और कभी-कभी उनमें शामिल भी हो जाते थे। जब बच्चे नाटक या शादी का खेल खेलते थे, तो पिता जी उनकी खुशी में शामिल होकर कभी हंसते थे, तो कभी नाटक देखकर अपनी टिप्पणी देते थे।
19. प्रश्न: भोलानाथ और उसके साथी किस प्रकार 'खेती' का खेल खेलते थे? उत्तर: भोलानाथ और उसके साथी खेतों का खेल इस प्रकार खेलते थे कि चबूतरे पर एक कोना खेत बन जाता था। ईंटों से खेत को जोतकर बीज बोए जाते थे। तिनके का बीज बनता और मूँज की पतली रस्सी से कुआँ बनता था, जिससे वे पानी सींचने का नाटक करते थे।
20. प्रश्न: पिता द्वारा लाड़-प्यार करने के बावजूद भी लेखक माँ के हाथ से क्यों खाते थे? उत्तर: लेखक माँ के हाथ से इसलिए खाते थे क्योंकि माँ उन्हें तोतई (अजीब-अजीब नाम की चिड़िया) के नाम से कौर बनाकर खिलाती थीं। माँ कहती थी कि बच्चे का पेट भर जाए, पर मन नहीं भरता। माँ उन्हें जबरदस्ती ज़्यादा खिलाती थी और लेखक को माँ की इसी ममता और लाड़ से खाने में असली आनंद आता था।
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खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: 'माता का अँचल' पाठ में तत्कालीन समाज की किन-किन विशेषताओं का वर्णन किया गया है? (CBSE PYQ) उत्तर: इस पाठ में तत्कालीन ग्रामीण समाज की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया गया है: 1. पारिवारिक स्नेह: संयुक्त परिवार और माता-पिता का बच्चों से गहरा लगाव। 2. सादा जीवन: लोगों का जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ था और वे सादगी में जीते थे। 3. मनोरंजन: बच्चों के खेल प्राकृतिक और सामाजिक घटनाओं पर आधारित थे (जैसे शादी, खेती का खेल)। 4. धार्मिक आस्था: पूजा-पाठ, रामायण का पाठ और गंगा में आटे की गोलियाँ खिलाना जैसी धार्मिक गतिविधियाँ जीवन का अभिन्न अंग थीं।
22. प्रश्न: लेखक ने अपने बचपन में पिता और माता के प्रति अपने जुड़ाव को किस प्रकार व्यक्त किया है? (CBSE PYQ) उत्तर: 1. पिता से जुड़ाव: लेखक का पिता से अधिक समय का जुड़ाव था। वे पिता के साथ ही सोते, पूजा करते, खेलते और बाहर जाते थे। पिता का साथ उन्हें एक दोस्त का एहसास कराता था। 2. माता से जुड़ाव: माता से लेखक का जुड़ाव ममता और भावनात्मक सुरक्षा का था। माता उन्हें खिलाती थीं और मुसीबत के समय उनका आँचल ही सबसे सुरक्षित स्थान था। इस प्रकार, लेखक ने पिता से सहजता और माता से सुरक्षा का संबंध व्यक्त किया है।
23. प्रश्न: ग्रामीण संस्कृति आज के शहरी बच्चों के जीवन से किस प्रकार भिन्न है? (CBSE PYQ) उत्तर: ग्रामीण संस्कृति शहरी जीवन से कई मायनों में भिन्न थी: 1. खेल: ग्रामीण बच्चों के खेल सामूहिक, प्राकृतिक और सामाजिक जीवन से प्रेरित थे, जबकि शहरी बच्चों के खेल व्यक्तिगत, तकनीकी और अकेलेपन भरे होते हैं। 2. संबंध: ग्रामीण बच्चे खुले माहौल में रहते थे और उनका जुड़ाव अपने माता-पिता और साथियों से बहुत सहज था। शहरी बच्चों का जुड़ाव कम होता है। 3. सादगी: ग्रामीण बच्चों का जीवन सादगीपूर्ण था, उन्हें महँगे खिलौनों की आवश्यकता नहीं थी, जबकि शहरी जीवन दिखावे और महँगे सामानों पर निर्भर है।
24. प्रश्न: लेखक ने ग्रामीण बच्चों की शरारतों का वर्णन किस प्रकार किया है? उनके खेल आज के समाज में कितने प्रासंगिक हैं? उत्तर: लेखक ने बच्चों की शरारतों का वर्णन मूसन तिवारी और बुड्ढे को चिढ़ाने के माध्यम से किया है। यह शरारत बच्चों की सहज नटखटता को दर्शाती है। प्रासंगिकता: ये खेल आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि ये बच्चों में रचनात्मकता और सामूहिकता की भावना भरते हैं। ये खेल बच्चों को समाज से जोड़ते हैं और उन्हें सृजनशील बनाते हैं, जबकि आधुनिक खेल अक्सर केवल मनोरंजन तक सीमित रह जाते हैं।
25. प्रश्न: "जहाँ लड़कों का संग, तहाँ बाजे मृदंग" इस उक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर: इस उक्ति का आशय यह है कि जहाँ लड़के इकट्ठे होते हैं, वहाँ आनंद, शोरगुल और उल्लास का माहौल बन जाता है। यहाँ 'मृदंग बाजना' केवल वाद्य यंत्र बजना नहीं है, बल्कि खुशी और चंचलता का प्रतीक है। लड़कों के समूह में एक उत्सवी वातावरण बन जाता है, जहाँ वे अपनी चिंताएँ भूलकर केवल खेल और मस्ती में लीन रहते हैं।
26. प्रश्न: साँप से डरकर भागे बच्चों की मनोदशा का वर्णन कीजिए। यह दृश्य क्या दर्शाता है? उत्तर: साँप को देखकर बच्चे अत्यंत भयभीत हो गए। वे चीखते-चिल्लाते, गिरते-पड़ते, रोते हुए भागे और जहाँ जगह मिली, वहाँ छिप गए। कुछ बच्चे माँ की गोद में और कुछ पिता के पास पहुँचे। यह दृश्य दर्शाता है कि बचपन की निडरता भी कभी-कभी असहायता में बदल जाती है, और डर के समय बच्चे सहज रूप से अपने सबसे सुरक्षित आश्रय (माँ-बाप) की ओर भागते हैं।
27. प्रश्न: पिता के लाड़-प्यार का भोलानाथ के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर: पिता के लाड़-प्यार का भोलानाथ के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। 1. खुशमिज़ाज: पिता के दोस्ताना व्यवहार के कारण वह खुशमिज़ाज और बेफिक्री से रहने वाला बच्चा बना। 2. साहित्यिक संस्कार: पिता के साथ रामनामा बहियों में राम नाम लिखने से उसमें संस्कार और साहित्य के प्रति सहज लगाव उत्पन्न हुआ। पिता ने उसे जीवन जीने की स्वतंत्रता दी।
28. प्रश्न: ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन की तुलना करते हुए बताइए कि कौन-सा जीवन अधिक सहज और आनंददायक है? उत्तर: ग्रामीण जीवन अधिक सहज और आनंददायक है। तुलना: 1. सहजता: ग्रामीण जीवन प्रकृति से जुड़ा होता है, जिससे बच्चों का विकास सहज रूप से होता है। 2. सामूहिकता: ग्रामीण जीवन में सामूहिकता और भाईचारा अधिक होता है। 3. आनंद: भोलानाथ के खेल बताते हैं कि सादगी में भी भरपूर आनंद था। निष्कर्ष: शहरी जीवन की अपेक्षा, ग्रामीण जीवन मुक्त, प्राकृतिक और मानसिक रूप से अधिक संतुष्ट करने वाला होता है।
29. प्रश्न: "बच्चों का एक ऐसा समूह था जो अपने खेल और जीवन में मस्त रहता था।" इस कथन के आलोक में बच्चों के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए। उत्तर: बच्चों के स्वभाव की विशेषताएँ: 1. रचनात्मक: वे साधारण चीज़ों (चबूतरा, तिनका, ईंट) से भी नए खेल बना लेते थे। 2. सामूहिक और दोस्ताना: वे हमेशा समूह में रहते थे और एक-दूसरे के साथ मिलकर खेलते थे। 3. बेफिक्री: वे किसी भी बात की चिंता नहीं करते थे और चिढ़ाने या शैतानी करने के बाद तुरंत अपने खेल में मस्त हो जाते थे। 4. सहज आनंद: वे आडंबर से दूर, सहज आनंद और उल्लास से भरे हुए थे।
30. प्रश्न: पाठ में माँ-बाप का बच्चों के प्रति व्यवहार कैसा था? यह व्यवहार आज के माता-पिता के लिए क्या प्रेरणा देता है? उत्तर: व्यवहार: माँ-बाप का व्यवहार अत्यंत वात्सल्यपूर्ण, सरल और स्नेह से भरा था। पिता बच्चों के साथ मित्रवत थे और उनकी गतिविधियों में शामिल होते थे, जबकि माँ ममतामयी सुरक्षा का कवच थीं। प्रेरणा: यह व्यवहार आज के माता-पिता को प्रेरणा देता है कि: 1. बच्चों को लाड़-प्यार और सुरक्षा दोनों दें। 2. उन्हें अपनी गतिविधियों में शामिल करें और दोस्त बनें। 3. उन पर दबाव न डालें, बल्कि उन्हें सहज विकास का अवसर दें।

यह अध्याय 11 का संशोधित पोस्ट है।

चूँकि हमने **'कृतिका भाग-2'** के सभी अध्याय पूरे कर लिए हैं, अब हम **व्याकरण** खंड की ओर बढ़ेंगे। अगला पोस्ट **'वाच्य और पद-परिचय'** पर केंद्रित होगा। क्या आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?

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