वाच्य: परिभाषा, भेद, रूपांतरण और महत्वपूर्ण उदाहरण | Vachya for Class 10
CBSE कक्षा 10 की हिंदी व्याकरण में 'वाच्य' (Voice) एक महत्वपूर्ण विषय है, जिससे 4 अंकों के बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों में वाच्य की पहचान करना और एक वाच्य से दूसरे में बदलना (वाच्य परिवर्तन) शामिल होता है। यह विषय थोड़ा तकनीकी लग सकता है, लेकिन सही नियमों और अभ्यास से आप इसमें पूरे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
इस ब्लॉग पोस्ट में हम वाच्य के तीनों भेदों, उनकी पहचान, परिवर्तन के नियमों और CBSE के नवीनतम पैटर्न पर आधारित ढेर सारे उदाहरणों को समझेंगे।
वाच्य क्या है? (What is Voice?)
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि वाक्य में क्रिया का मुख्य विषय कर्ता (Subject), कर्म (Object) या भाव (Emotion/Verb itself) है, उसे 'वाच्य' कहते हैं।
वाच्य के तीन भेद होते हैं:
- कर्तृवाच्य (Active Voice)
- कर्मवाच्य (Passive Voice)
- भाववाच्य (Impersonal Voice)
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1. कर्तृवाच्य (Active Voice)
जिस वाक्य में क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से होता है और क्रिया का लिंग और वचन कर्ता के अनुसार ही होता है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।
- पहचान: कर्ता बिना किसी विभक्ति ('ने', 'से', 'द्वारा') के होता है या 'ने' विभक्ति के साथ होता है। क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों हो सकती है।
कर्तृवाच्य के उदाहरण:
2. कर्मवाच्य (Passive Voice)
जिस वाक्य में क्रिया का सीधा संबंध कर्म से होता है और क्रिया का लिंग और वचन कर्म के अनुसार होता है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।
- पहचान: कर्ता के बाद 'से' या 'के द्वारा' विभक्ति लगी होती है। क्रिया हमेशा सकर्मक (Transitive) होती है। क्रिया 'जा' धातु के रूप (जाता है, गई, जाएगा) में बदल जाती है।
कर्मवाच्य के उदाहरण:
3. भाववाच्य (Impersonal Voice)
जिस वाक्य में क्रिया का संबंध कर्ता या कर्म से न होकर भाव से होता है, उसे भाववाच्य कहते हैं।
- पहचान: कर्ता के बाद 'से' विभक्ति लगी होती है। क्रिया हमेशा अकर्मक (Intransitive) होती है। क्रिया हमेशा अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहती है। इसमें अक्सर असमर्थता का भाव प्रकट होता है।
भाववाच्य के उदाहरण:
वाच्य परिवर्तन (Voice Transformation)
परीक्षा में वाच्य की पहचान के साथ-साथ वाच्य परिवर्तन पर आधारित प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में बदलना
- कर्ता के साथ 'से' या 'के द्वारा' लगाएँ।
- क्रिया को कर्म के लिंग और वचन के अनुसार बदलें।
- मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलकर 'जा' धातु का रूप जोड़ें।
- कर्तृवाच्य: शिकारी शिकार करते हैं।
कर्मवाच्य: शिकारियों द्वारा शिकार किया जाता है। - कर्तृवाच्य: कलाकार मूर्ति गढ़ता है।
कर्मवाच्य: कलाकार द्वारा मूर्ति गढ़ी जाती है। - कर्तृवाच्य: हम यह मज़ेदार कहानी पढ़ेंगे।
कर्मवाच्य: हमारे द्वारा यह मज़ेदार कहानी पढ़ी जाएगी।
2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य में बदलना
- कर्ता के साथ 'से' लगाएँ।
- क्रिया को हमेशा अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में रखें।
- मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलकर 'जा' धातु का रूप जोड़ें।
- कर्तृवाच्य: मैं अब चल नहीं सकता।
भाववाच्य: मुझसे अब चला नहीं जाता। - कर्तृवाच्य: बच्चे नहीं दौड़ते।
भाववाच्य: बच्चों से दौड़ा नहीं जाता। - कर्तृवाच्य: पक्षी रात में सोते हैं।
भाववाच्य: पक्षियों द्वारा रात में सोया जाता है।
3. कर्मवाच्य/भाववाच्य से कर्तृवाच्य में बदलना
- कर्ता के साथ लगे 'से' या 'के द्वारा' को हटा दें।
- क्रिया को कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार बदलें।
- कर्मवाच्य: तुलसीदास द्वारा 'रामचरितमानस' की रचना की गई।
कर्तृवाच्य: तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' की रचना की। - कर्मवाच्य: छात्रों द्वारा सुलेख लिखा जाता है।
कर्तृवाच्य: छात्र सुलेख लिखते हैं। - भाववाच्य: मुझसे बैठा नहीं जाता।
कर्तृवाच्य: मैं बैठ नहीं सकता। - भाववाच्य: चलो, अब पढ़ा जाए।
कर्तृवाच्य: चलो, अब पढ़ते हैं।
निष्कर्ष
वाच्य को समझना हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। कर्तृवाच्य में कर्ता, कर्मवाच्य में कर्म और भाववाच्य में क्रिया या भाव की प्रधानता होती है। इनके नियमों को समझकर और दिए गए उदाहरणों का अभ्यास करके आप परीक्षा में इस विषय से संबंधित प्रश्नों को आसानी से हल कर सकते हैं और पूरे अंक प्राप्त कर सकते हैं।