यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।
खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)
1. प्रश्न: फादर कामिल बुल्के का जन्म स्थान कहाँ था?
उत्तर: फादर कामिल बुल्के का जन्म स्थान रैम्सचैपल, बेल्जियम में था।
2. प्रश्न: लेखक ने फादर बुल्के की उपस्थिति को कैसी बताया है?
उत्तर: लेखक ने फादर बुल्के की उपस्थिति को देवदारु की छाया जैसी बताया है।
3. प्रश्न: फादर बुल्के ने किस विषय में रिसर्च (शोध) की थी?
उत्तर: उन्होंने 'रामकथा: उत्पत्ति और विकास' विषय में रिसर्च की थी।
4. प्रश्न: फादर बुल्के ने किस प्रसिद्ध शब्दकोश की रचना की?
उत्तर: उन्होंने 'अंग्रेजी-हिंदी कोश' की रचना की।
5. प्रश्न: फादर बुल्के की मृत्यु किस बीमारी से हुई?
उत्तर: फादर बुल्के की मृत्यु 'जहरबाद' (गैंग्रीन) नामक बीमारी से हुई।
6. प्रश्न: लेखक को फादर बुल्के की किस बात पर सबसे ज़्यादा क्रोध आता था?
उत्तर: लेखक को उनकी बीमारी 'जहरबाद' पर सबसे ज़्यादा क्रोध आता था।
7. प्रश्न: फादर बुल्के का संबंध किस साहित्यिक संस्था से था?
उत्तर: फादर बुल्के का संबंध इलाहाबाद की साहित्यिक संस्था 'परिमल' से था।
8. प्रश्न: 'दिव्य चमक' किसे कहा गया है?
उत्तर: 'दिव्य चमक' फादर बुल्के की निस्वार्थ करुणा और ममत्व से भरी उपस्थिति को कहा गया है।
9. प्रश्न: फादर बुल्के को किस बात का दुख था?
उत्तर: उन्हें इस बात का दुख था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में सम्मान नहीं मिल पाया।
10. प्रश्न: फादर बुल्के की अंतिम संस्कार की अंतिम विधि कहाँ पूरी हुई?
उत्तर: उनकी अंतिम संस्कार की अंतिम विधि इलाहाबाद के कब्रिस्तान में पूरी हुई।
खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)
11. प्रश्न: फादर बुल्के की उपस्थिति देवदारु की छाया जैसी क्यों लगती थी? (CBSE PYQ)
उत्तर: देवदारु का वृक्ष विशाल और घना होता है, जो गहरी और शीतल छाया देता है। फादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही था— वे सभी के लिए प्रेम, ममत्व और आशीर्वाद की शांति भरी छाया प्रदान करते थे। उनकी आत्मीयता से सभी को सुकून मिलता था, इसलिए उनकी उपस्थिति देवदारु जैसी लगती थी।
12. प्रश्न: लेखक ने फादर बुल्के को याद करना 'शांत संगीत' सुनने जैसा क्यों कहा है? (CBSE PYQ)
उत्तर: फादर बुल्के का व्यक्तित्व शांत, गहरा और गंभीर था। उनसे बात करने पर मन को एक विशेष प्रकार की शांति और शीतलता मिलती थी। उनकी यादें भी मन में किसी मधुर और शांत संगीत की तरह सुकून और ठहराव लाती हैं, जो आत्मा को तृप्त करता है।
13. प्रश्न: फ़ादर बुल्के संन्यास लेते हुए भी परंपरागत संन्यासियों से कैसे भिन्न थे? (CBSE PYQ)
उत्तर: परंपरागत संन्यासी परिवार, मोह और रिश्तों से पूरी तरह कट जाते हैं, जबकि फादर बुल्के संन्यासी होते हुए भी सबसे गहरा पारिवारिक संबंध रखते थे। वे हर सुख-दुख में शामिल होते थे, आशीष देते थे और अपने प्रियजनों के लिए हमेशा चिंता व्यक्त करते थे।
14. प्रश्न: फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा गया है? (CBSE PYQ)
उत्तर: उन्हें 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' इसलिए कहा गया है क्योंकि उनके हृदय में सभी के लिए प्रेम और करुणा थी। उनका ममत्व निस्वार्थ था। वे बिना किसी भेदभाव के सभी के प्रति स्नेह रखते थे और अपने प्रियजनों की भलाई के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। उनका यह स्नेह और करुणा एक दैवीय प्रकाश के समान था।
15. प्रश्न: फादर बुल्के ने हिंदी के विकास के लिए कौन-से प्रयास किए?
उत्तर: फादर बुल्के ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए मंचों पर खुलकर आवाज़ उठाई। उन्होंने 'अंग्रेजी-हिंदी कोश' तैयार किया और हिंदी में शोध-कार्य किया, विशेषकर 'रामकथा' पर। वे हिंदी को प्रतिष्ठित करने के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे।
16. प्रश्न: फादर बुल्के को अपनी जन्मभूमि रैम्सचैपल की याद क्यों आती थी?
उत्तर: फादर बुल्के संन्यासी थे, लेकिन फिर भी अपनी जन्मभूमि रैम्सचैपल की यादों को नहीं भुला पाए थे। उन्हें वहाँ के पर्वतों, अपनी माँ और अपने भाई-बहनों की याद आती थी। इससे पता चलता है कि वे हृदय से अत्यंत भावुक और आत्मीयता से भरे हुए थे।
17. प्रश्न: परिमल में फादर बुल्के की क्या भूमिका थी?
उत्तर: परिमल इलाहाबाद की साहित्यिक संस्था थी, जिसके वे सबसे बड़े और सम्मानित सदस्य थे। वे परिवार के मुखिया की तरह होते थे। वे लेखकों की रचनाओं पर अपनी स्पष्ट राय देते थे और युवा साहित्यकारों को हमेशा प्रोत्साहित करते थे।
18. प्रश्न: फ़ादर बुल्के लेखक के परिवार के सदस्य की तरह कैसे थे?
उत्तर: फादर बुल्के लेखक के घर में किसी भी उत्सव में बड़े-बुजुर्ग की तरह उपस्थित होते थे। वे लेखक के बच्चों के मुख में पहला अन्न डालते थे, उनके हर छोटे-बड़े समारोह में शामिल होते थे और उन्हें आशीष देते थे, जिससे वे परिवार के अभिन्न अंग बन गए थे।
19. प्रश्न: फ़ादर बुल्के ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई क्यों छोड़ दी थी?
उत्तर: फादर बुल्के को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही मन में संन्यास लेने की तीव्र इच्छा जागी। संन्यास लेते समय उन्होंने एक शर्त रखी कि वे भारत जाएँगे। इस तीव्र आध्यात्मिक इच्छा के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।
20. प्रश्न: लेखक फादर बुल्के की अंतिम यात्रा में क्यों उपस्थित हुए?
उत्तर: फादर बुल्के लेखक के बहुत करीब थे और वे उन्हें बहुत मानते थे। वे अंतिम बार अपने प्रिय देवदारु की छाया को विदा करने और उनके अंतिम दर्शन के लिए उपस्थित हुए, ताकि उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दे सकें।
खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)
21. प्रश्न: फ़ादर कामिल बुल्के के चरित्र की उन विशेषताओं को उजागर कीजिए जिनके कारण लेखक उन्हें 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' कहता है। (CBSE PYQ)
उत्तर: फादर बुल्के के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएँ थीं: 1. निस्वार्थ ममत्व: वे किसी भी रिश्ते को तोड़ते नहीं थे, बल्कि उन्हें और गहरा करते थे। 2. असीम करुणा: उनका हृदय सभी के लिए हमेशा खुला रहता था। वे हर दुख में सांत्वना और हर खुशी में आशीर्वाद देते थे। 3. देवदारु की छाया: उनका व्यक्तित्व इतना विशाल था कि उनकी उपस्थिति में सभी सुरक्षित और शांत महसूस करते थे। इन्हीं निस्वार्थ, करुणामय और विशाल गुणों के कारण उन्हें 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' कहा गया है।
22. प्रश्न: फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है? (CBSE PYQ)
उत्तर: फादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग निम्नलिखित आधारों पर कहा गया है: 1. कर्मभूमि: उन्होंने अपनी जन्मभूमि बेल्जियम को छोड़कर भारत को अपनी कर्मभूमि बनाया और आजीवन यहीं रहे। 2. हिंदी-प्रेम: उन्होंने हिंदी भाषा के लिए अथक प्रयास किए, कोश बनाए और रामकथा पर शोध किया। 3. पहनावा: वे भारतीय संन्यासियों जैसा सफेद चोगा पहनते थे। 4. आत्मीयता: उन्होंने भारतीय लोगों के साथ गहरा आत्मीय संबंध स्थापित किया और उनकी खुशी-गम में हमेशा शामिल रहे।
23. प्रश्न: लेखक ने 'जहरबाद' से मृत्यु को लेकर दुख और क्रोध क्यों व्यक्त किया? (CBSE PYQ)
उत्तर: लेखक ने दुख और क्रोध इसलिए व्यक्त किया क्योंकि फादर बुल्के ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और भलाई में लगा दिया, उनके हृदय में केवल अमृत (प्रेम) भरा था, फिर भी उन्हें मृत्यु के लिए 'जहरबाद' (जहर) जैसा भयानक रोग मिला। लेखक को लगता था कि जिसने दूसरों के लिए इतनी मिठास बाँटी, उसे इस तरह की क्रूर मौत नहीं मिलनी चाहिए थी। यह प्राकृतिक न्याय के विपरीत था।
24. प्रश्न: फादर बुल्के हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए क्यों चिंतित थे? आज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: फादर बुल्के हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चिंतित थे क्योंकि वे हिंदी को भारत की पहचान और एकता का माध्यम मानते थे। वे देखते थे कि हिंदी विद्वानों और साहित्यकारों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा की जा रही है। आज की स्थिति: आज भी हिंदी को पूर्ण राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है। सरकारी कामकाज और उच्च शिक्षा में अंग्रेजी का प्रभुत्व बना हुआ है, जिससे फादर बुल्के की चिंता आज भी प्रासंगिक बनी हुई है।
25. प्रश्न: 'करुणा की दिव्य चमक' शीर्षक की सार्थकता कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह शीर्षक पूरी तरह सार्थक है क्योंकि यह फादर बुल्के के व्यक्तित्व का सही प्रतिनिधित्व करता है। 'करुणा': फादर बुल्के का हृदय सभी के लिए ममत्व और दया से भरा था। 'दिव्य': उनकी करुणा निस्वार्थ, निर्मल और पवित्र थी, जो सांसारिक मोह से परे थी। 'चमक': उनकी उपस्थिति में जो शांति और प्रेम का अनुभव होता था, वह एक प्रकाश जैसा था। अतः, शीर्षक उनके असाधारण, निस्वार्थ और करुणामय व्यक्तित्व को उजागर करता है।
26. प्रश्न: लेखक ने फ़ादर बुल्के को देवदारु की संज्ञा क्यों दी है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर: देवदारु का वृक्ष विशाल, दृढ़ और छायादार होता है। लेखक ने फ़ादर बुल्के को यह संज्ञा इसलिए दी: 1. विशालता: फादर का व्यक्तित्व विशाल, उच्च और गंभीर था। 2. दृढ़ता: वे संन्यासी जीवन के अपने व्रत और हिंदी सेवा के संकल्प पर दृढ़ थे। 3. छाया: वे अपने प्रियजनों को हमेशा अपनी आत्मीयता और आशीर्वाद की शीतल छाया प्रदान करते थे, जिससे वे दुःख और कष्ट में भी सुरक्षित महसूस करते थे।
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27. प्रश्न: संन्यासी होते हुए भी फादर बुल्के पारिवारिक संबंधों का निर्वाह कैसे करते थे?
उत्तर: संन्यासी होने के बावजूद फादर बुल्के पारिवारिक संबंध बहुत कुशलता से निभाते थे: 1. आत्मीयता बनाए रखना: वे हर साल अपनी माँ और जन्मभूमि की याद करते थे, जिससे उनके मूल रिश्ते बरकरार रहे। 2. उत्सव में भागीदारी: वे लेखक के परिवार के हर बड़े-छोटे संस्कार और उत्सव (जैसे बच्चों के अन्नप्राशन) में शामिल होते थे। 3. आशीष और सांत्वना: वे अपने परिचितों को आशीष देते थे और उनकी निजी तकलीफों पर सांत्वना देकर उनका दुख बाँटते थे।
28. प्रश्न: फादर बुल्के के हिंदी-प्रेम को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: फादर बुल्के का हिंदी-प्रेम अत्यंत गहरा था: 1. अकादमिक योगदान: उन्होंने 'रामकथा' पर शोध किया और 'अंग्रेजी-हिंदी कोश' का निर्माण किया। 2. सार्वजनिक मंचों पर संघर्ष: वे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए साहित्यिक गोष्ठियों में और सार्वजनिक मंचों पर हिंदी वालों से ही भिड़ जाते थे। 3. हिंदी की उपेक्षा से दुख: हिंदी की दुर्दशा देखकर उन्हें बहुत दुख होता था, जो उनके सच्चे हिंदी-प्रेम का प्रमाण था।
29. प्रश्न: फादर बुल्के की अंतिम विदाई में इतनी भीड़ क्यों थी? लेखक ने इस दृश्य को क्या कहा?
उत्तर: फादर बुल्के की अंतिम विदाई में इतनी भीड़ थी क्योंकि वे केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्था थे। उन्होंने अनेक लोगों से निस्वार्थ प्रेम और आत्मीयता का संबंध स्थापित किया था। लेखक ने इस दृश्य को 'करुणा के शांत जल में नहाया' हुआ कहा। यह भीड़ उनके निस्वार्थ प्रेम और करुणा के बदले लोगों द्वारा दी गई सच्ची श्रद्धांजलि थी।
30. प्रश्न: लेखक ने फादर बुल्के को याद करते हुए 'नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है'— क्यों कहा?
उत्तर: लेखक ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि फादर बुल्के की अंतिम विदाई में उपस्थित लोगों की संख्या बहुत अधिक थी, और उनमें से लगभग हर किसी की आँखें नम थीं। उन सभी नम आँखों को गिनना असंभव था। इसलिए लेखक का मानना था कि उन अनगिनत आँसुओं का हिसाब रखना या वर्णन करना, दुःख की गहनता को कम करने जैसा होगा।
यह अध्याय 8 का संशोधित पोस्ट है।
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