राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (तुलसीदास) CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न और उत्तर

कक्षा 10 हिंदी (क्षितिज भाग-2) - CBSE बोर्ड बूस्टर: 30 सर्वश्रेष्ठ पिछले वर्ष के प्रश्न एवं उत्तर
यह प्रश्नोत्तर शृंखला CBSE बोर्ड परीक्षा पैटर्न पर आधारित है, जो आपको इस पाठ के गहन विश्लेषण में मदद करेगी।

खंड 'क' - अति संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (VSA) (1 अंक)

1. प्रश्न: शिव धनुष टूटने पर परशुराम ने किसे अपना शत्रु बताया? उत्तर: परशुराम ने धनुष तोड़ने वाले को अपना शत्रु 'सहस्रबाहु' के समान बताया।
2. प्रश्न: परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे क्या कहा? उत्तर: राम ने अत्यंत विनम्रता से कहा कि शिव धनुष तोड़ने वाला उनका कोई दास (सेवक) ही होगा।
3. प्रश्न: लक्ष्मण ने परशुराम के 'फरसे' की तुलना किससे की है? उत्तर: लक्ष्मण ने उनके फरसे की तुलना एक साधारण हथियार से की, जिसके लिए वे व्यर्थ में घमंड कर रहे हैं।
4. प्रश्न: लक्ष्मण ने धनुष तोड़ने को कौन-सी घटना बताया? उत्तर: लक्ष्मण ने धनुष तोड़ने को एक साधारण घटना बताया, जो बचपन में खेले गए धनुष तोड़ने के खेल जैसी थी।
5. प्रश्न: परशुराम ने अपनी भुजाओं के बल पर धरती को किससे विहीन कर दिया था? उत्तर: परशुराम ने अपनी भुजाओं के बल पर धरती को क्षत्रिय राजाओं (भूप) से विहीन कर दिया था।
6. प्रश्न: 'गाधिसूत' शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है? उत्तर: 'गाधिसूत' शब्द विश्वामित्र के लिए प्रयोग किया गया है।
7. प्रश्न: परशुराम के अनुसार, शिव धनुष को किसने तोड़ा है? उत्तर: परशुराम के अनुसार शिव धनुष को उनके सबसे बड़े शत्रु सहस्रबाहु के समान किसी व्यक्ति ने तोड़ा है।
8. प्रश्न: परशुराम ने अपनी आत्म-प्रशंसा क्यों की? उत्तर: परशुराम ने लक्ष्मण को डराने और अपनी वीरता का प्रभाव जमाने के लिए आत्म-प्रशंसा की।
9. प्रश्न: 'कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा' में कौन-सा अलंकार है? उत्तर: इसमें उपमा अलंकार है, क्योंकि वचनों की तुलना करोड़ों वज्रों से की गई है।
10. प्रश्न: इस संवाद की भाषा कौन-सी है? उत्तर: इस संवाद की भाषा अवधी है।

खंड 'ख' - संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न (SA) (2/3 अंक)

11. प्रश्न: लक्ष्मण ने परशुराम को 'वीरता घर में दिखाने वाला' क्यों कहा? (CBSE PYQ) उत्तर: लक्ष्मण ने परशुराम को यह व्यंग्य इसलिए किया क्योंकि वे केवल अपनी प्रशंसा करते थे और अपना फरसा दिखाकर डराते थे। लक्ष्मण के अनुसार, सच्चे वीर युद्धभूमि में केवल कार्य करते हैं, अपनी बड़ाई नहीं करते, और ऐसा करना कायरों का काम है।
12. प्रश्न: परशुराम ने विश्वामित्र के कारण लक्ष्मण को क्यों क्षमा किया? उत्तर: परशुराम ने विश्वामित्र (गाधिसूत) के अनुरोध और मुनि होने के नाते बालक को क्षमा करने की परंपरा के कारण लक्ष्मण को क्षमा किया। हालाँकि, वे अंदर से क्रुद्ध थे और लक्ष्मण को बालक समझकर अनदेखा कर रहे थे।
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13. प्रश्न: सच्चे वीर की क्या विशेषताएँ हैं? लक्ष्मण के कथन के अनुसार स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: सच्चे वीर धैर्यवान, संयमी और शांत होते हैं। वे युद्धभूमि में शत्रु को सामने देखकर अपनी बड़ाई नहीं करते, बल्कि अपनी वीरता का प्रदर्शन करके अपनी बात सिद्ध करते हैं। वे कभी भी दीनता या क्रूरता नहीं दिखाते।
14. प्रश्न: परशुराम ने विश्वामित्र को लक्ष्मण के विषय में क्या चेतावनी दी? उत्तर: परशुराम ने विश्वामित्र से कहा कि लक्ष्मण मंदबुद्धि, उद्दंड और काल के वश में है। उन्होंने विश्वामित्र को चेतावनी दी कि वे शीघ्र ही काल का ग्रास बन जाएँगे, और यदि वे उसे बचाना चाहते हैं, तो उसे चुप कराएँ।
15. प्रश्न: 'कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा' का क्या अर्थ है? लक्ष्मण ने यह व्यंग्य क्यों किया? उत्तर: इसका अर्थ है कि 'आपकी वाणी ही करोड़ों वज्रों के समान कठोर है।' लक्ष्मण ने यह व्यंग्य इसलिए किया ताकि परशुराम को बता सकें कि उन्हें अपनी आत्म-प्रशंसा के लिए फरसा उठाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनकी कठोर वाणी ही उन्हें वीर सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है।
16. प्रश्न: लक्ष्मण ने शिव धनुष तोड़ने के संबंध में क्या तर्क दिए? उत्तर: लक्ष्मण ने तर्क दिया: 1. धनुष बहुत पुराना और जीर्ण-शीर्ण था, इसलिए राम के छूने भर से टूट गया। 2. यह किसी के लिए कोई विशेष धनुष नहीं था, बल्कि एक साधारण धनुष था। 3. इसे तोड़ने में उनका कोई लाभ-हानि का उद्देश्य नहीं था।
17. प्रश्न: परशुराम ने अपनी गुरु-भक्ति और वंश की किन विशेषताओं का उल्लेख किया? उत्तर: परशुराम ने उल्लेख किया कि वे ब्राह्मण कुल के हैं, शिव के परम भक्त हैं, और उन्होंने अपनी भुजाओं के बल पर कई बार पृथ्वी को क्षत्रिय राजाओं से रहित किया है। वे यह भी बताते हैं कि वे गुरु के ऋण से मुक्त हैं, सिवाय उस ऋण के जो धनुष तोड़ने वाले पर बाकी है।
18. प्रश्न: सभा में उपस्थित लोग भयभीत क्यों थे? उत्तर: सभा में उपस्थित लोग परशुराम के भयंकर क्रोध, उनके हाथ में फरसे और उनके अति-क्रोधपूर्ण वचनों को देखकर भयभीत थे। वे जानते थे कि परशुराम पहले भी कई राजाओं का वध कर चुके थे।
19. प्रश्न: विश्वामित्र ने मन ही मन परशुराम की अज्ञानता पर क्या विचार किया? (CBSE PYQ) उत्तर: विश्वामित्र ने मन ही मन सोचा कि परशुराम को राम और लक्ष्मण केवल साधारण बालक (ईख की खाँड़) लग रहे हैं, जिन्हें वे आसानी से पराजित कर देंगे। लेकिन वे यह नहीं जानते कि ये बालक लोहे से बनी तलवार (फौलादी) हैं, जिन्हें वह मूर्खता से कोमल समझ रहे हैं।
20. प्रश्न: राम ने लक्ष्मण के अति-क्रोध को बढ़ते देखकर क्या किया? उत्तर: जब लक्ष्मण के व्यंग्य और परशुराम का क्रोध चरम पर पहुँच गया, तो राम ने विनम्रतापूर्वक और शांत वाणी में बीच में हस्तक्षेप किया। उन्होंने अपने शांत स्वभाव और शीतल वचनों से परशुराम के क्रोध की आग को शांत करने का प्रयास किया।

खंड 'ग' - दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (LA) (4/5 अंक)

21. प्रश्न: राम, लक्ष्मण और परशुराम के व्यवहारों के आधार पर तीनों के चरित्र की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए। (CBSE PYQ) उत्तर: 1. राम: राम अत्यंत विनम्र, धैर्यवान और संयमित हैं। वे हर स्थिति में शांति बनाए रखते हैं और परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए सेवक बनकर बात करते हैं। 2. लक्ष्मण: लक्ष्मण उग्र, वाक्पटु और निडर हैं। वे अन्याय को सहन नहीं करते और अपने तीखे व्यंग्यों से परशुराम के अहंकार को चुनौती देते हैं। 3. परशुराम: परशुराम क्रोधी, अहंकारी और आत्म-प्रशंसक हैं। वे अपनी शक्ति पर गर्व करते हैं और शिव के धनुष को टूटने पर अत्यंत क्रोधित होते हैं, जो उनके मुनि स्वभाव के विपरीत है।
22. प्रश्न: 'राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' में लक्ष्मण के वाक्चातुर्य (बोलने की निपुणता) पर टिप्पणी कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: लक्ष्मण का वाक्चातुर्य संवाद को जीवंत बना देता है। उनकी वाणी तीखी, तर्कसंगत और व्यंग्यपूर्ण है। 1. व्यंग्य की मार: वे परशुराम के 'फरसे' पर व्यंग्य करते हैं और उन्हें 'वीरता घर में दिखाने वाला' कहते हैं। 2. तर्कों की प्रधानता: वे कहते हैं कि धनुष पुराना था और छूने से टूट गया, इसमें राम का कोई दोष नहीं। 3. निडरता: वे बिना डरे परशुराम के गुरु-प्रेम और क्षत्रिय-विरोध पर प्रश्न उठाते हैं। उनका वाक्चातुर्य क्रोध पर हावी होकर सभा में हास्य पैदा करता है।
23. प्रश्न: यह संवाद क्रोध पर विनम्रता की विजय को कैसे स्थापित करता है? इस संदर्भ में राम की भूमिका स्पष्ट कीजिए। उत्तर: यह संवाद स्थापित करता है कि क्रोध कितना भी प्रचंड क्यों न हो, विनम्रता और धैर्य उसे शांत कर सकते हैं। परशुराम अपने क्रोध के कारण अपनी तपस्या और मर्यादा भूल जाते हैं। राम की भूमिका निर्णायक थी। जब लक्ष्मण अपने व्यंग्यों से आग भड़का रहे थे, तब राम ने अपनी शीतल और शांत वाणी से उस आग को बुझाया। राम की विनम्रता ही अंत में परशुराम के अहंकार और क्रोध को शांत करके, संवाद को सम्मानजनक अंत देती है।
24. प्रश्न: परशुराम को क्रोध क्यों आया? उनके क्रोध का मूल कारण केवल शिव का धनुष टूटना था या कुछ और भी? उत्तर: परशुराम के क्रोध के मूल कारण बहुआयामी थे: 1. गुरु का धनुष: शिव उनके गुरु थे, और उनके धनुष का टूटना परशुराम के लिए गुरु का अपमान था। 2. अहंकार को ठेस: उनके क्रोध को लक्ष्मण के तीखे व्यंग्यों और चुनौती ने बढ़ाया। लक्ष्मण ने उनके फरसे और वीरता को बार-बार झूठा साबित करने की कोशिश की, जिससे परशुराम के ब्राह्मण होने और क्षत्रिय-विनाशक होने के अहंकार को गहरी ठेस लगी।
25. प्रश्न: 'अय्यामय खाँड़ न ऊखमय खाँड़'— विश्वामित्र के इस कथन में निहित व्यंग्य और गूढ़ अर्थ स्पष्ट कीजिए। (CBSE PYQ) उत्तर: यह कथन विश्वामित्र ने परशुराम की अज्ञानता पर व्यंग्य करते हुए मन ही मन कहा था। 1. व्यंग्य: परशुराम राम और लक्ष्मण को साधारण क्षत्रिय बालक (ऊस की खाँड़/गन्ने का रस) समझ रहे थे, जिन्हें वे आसानी से खा जाएँगे। 2. गूढ़ अर्थ: विश्वामित्र जानते थे कि राम और लक्ष्मण वास्तव में लोहे के बने तलवार (अय्यमय खाँड़) हैं, अर्थात् वे असाधारण और अपराजेय वीर हैं। यह व्यंग्य परशुराम की गलती और अति आत्मविश्वास को उजागर करता है।
26. प्रश्न: 'राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' की कविता-शैली और भाषा की विशेषताएँ बताइए। उत्तर: 1. शैली: यह संवाद-प्रधान शैली में रचित है, जो कहानी को नाटकीयता प्रदान करती है। इसमें वीर रस और रौद्र रस की प्रधानता है, लेकिन लक्ष्मण के वचनों के कारण हास्य और व्यंग्य का भी समावेश है। 2. भाषा: इसकी भाषा **अवधी** है, जिसमें **दोहा और चौपाई** छंदों का सुंदर प्रयोग किया गया है। इसमें अनुप्रास, उपमा, रूपक और उत्प्रेक्षा जैसे अलंकारों का प्रयोग हुआ है, जो भाषा को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं।
27. प्रश्न: लक्ष्मण ने अपने वंश की कौन-सी मर्यादा बताई और क्यों? उत्तर: लक्ष्मण ने बताया कि उनके रघुकुल में तीन चीज़ों पर वीरता नहीं दिखाई जाती: **देवताओं (सुर), ब्राह्मणों (महिदेव), और गायों (धेनु)** पर। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि परशुराम एक ब्राह्मण थे। लक्ष्मण ने यह कहकर परशुराम को यह महसूस कराया कि वे स्वयं मर्यादा से बंधे हैं और इसीलिए वे क्रोध के बावजूद परशुराम पर वार नहीं कर रहे हैं।
28. प्रश्न: परशुराम के अनुसार, सच्चे वीर की क्या पहचान है? उत्तर: परशुराम के अनुसार, सच्चे वीर वह हैं जो अपने गुरु का सम्मान करते हैं और अन्याय को सहन नहीं करते। वे स्वयं को सच्चा वीर मानते हैं क्योंकि उन्होंने सहस्रबाहु का वध किया और धरती को क्षत्रिय राजाओं से रहित किया। उनके अनुसार, धनुष तोड़ने वाला उनका शत्रु है, जिसका वध करके ही वे सच्चे वीर साबित होंगे।
29. प्रश्न: संवाद में परशुराम की कौन-सी बातें उनकी **मानसिक कमजोरी** को दर्शाती हैं? उत्तर: परशुराम का बार-बार आत्म-प्रशंसा करना, अपना फरसा दिखाकर डराना, और लक्ष्मण जैसे बालक पर अत्यधिक क्रोध करना, उनकी मानसिक कमजोरी को दर्शाता है। एक सच्चा ज्ञानी या मुनि शांत और आत्मविश्वासी होता है, लेकिन परशुराम का व्यवहार दिखाता है कि वे अपनी प्रतिष्ठा को लेकर अत्यधिक असुरक्षित थे।
30. प्रश्न: इस संवाद से हमें क्या नैतिक शिक्षा मिलती है? उत्तर: इस संवाद से हमें नैतिक शिक्षा मिलती है कि हमें अहंकार, क्रोध और अति आत्मविश्वास से बचना चाहिए। क्रोध और अहंकार मनुष्य को पथभ्रष्ट करते हैं, जबकि विनम्रता और शांति सबसे बड़ी शक्ति होती है। राम का चरित्र हमें विनम्रता और लक्ष्मण का चरित्र अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की प्रेरणा देता है।


अब हम आपकी सीरीज़ के अगले अध्याय, **'आत्म-कथ्य'** की ओर बढ़ेंगे। क्या आप अगले चरण के लिए तैयार हैं?

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