यह कहानी है दो बहनों, रिया और सिया की। रिया बड़ी थी, हमेशा जिम्मेदार, और सिया छोटी, चुलबुली और खेल-कूद में माहिर। दोनों पहाड़ों के पास एक छोटे से गाँव में रहती थीं।
एक दिन, रिया और सिया जंगल में खेलने निकलीं। वह जंगल बेहद सुंदर था, चारों ओर हरे-भरे पेड़, रंग-बिरंगे फूल, और मीठे फल थे। सिया ने उत्साह से कहा, "दीदी, चलो जंगल के उस पार चलें। मैंने सुना है वहाँ एक जादुई तालाब है!"
रिया थोड़ी चिंतित हुई, "सिया, हमें बहुत दूर नहीं जाना चाहिए। माँ ने मना किया था।"
पर सिया की जिद के आगे रिया मान गई और दोनों बहनें जंगल के अंदर बढ़ने लगीं। चलते-चलते वे जादुई तालाब तक पहुंच गईं। तालाब की पानी की सतह पर इंद्रधनुष जैसे रंग चमक रहे थे। सिया ने तालाब के पास जाकर अपने हाथ पानी में डाले और अचानक एक सुनहरी मछली तालाब से बाहर आई।
मछली ने कहा, "मैं इस तालाब की रक्षक हूँ। जो इस तालाब में हाथ डालता है, उसकी एक इच्छा पूरी होती है। बताओ, तुम्हारी क्या इच्छा है?"
सिया ने चहकते हुए कहा, "मैं चाहती हूँ कि मुझे जादू मिल जाए!"
सुनहरी मछली मुस्कराई और बोली, "जादू पाने के लिए तुम्हें समझदारी और दया की जरूरत है। अगर तुम एक दिन तक हर किसी की मदद करोगी, तो तुम्हें जादू मिल जाएगा।"
सिया ने खुशी-खुशी वादा किया और रिया ने भी उसे साथ देने का निर्णय लिया। दोनों बहनें गाँव में लौट आईं और अगले दिन से उन्होंने सभी की मदद करनी शुरू की। किसी की भारी बाल्टी उठाने में मदद की, तो किसी को खाना बना दिया। जब दिन का अंत हुआ, तो सिया ने महसूस किया कि उसकी सहायता से सब कितने खुश थे।
उसी रात, सुनहरी मछली सिया के सपने में आई और बोली, "तुमने आज समझदारी और दया दिखाई है। जादू तुम्हारे पास हमेशा रहेगा, क्योंकि सबसे बड़ा जादू दिल में होता है, जो दूसरों की मदद करने से मिलता है।"
सिया ने समझा कि असली जादू दूसरों की मदद करने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में है। वह और रिया अब हर दिन किसी न किसी की मदद करतीं और यही उनकी खुशी बन गई।
और इस तरह, रिया और सिया ने सिखा कि सबसे बड़ी ताकत प्यार और सहयोग में होती है।